स्काईवॉक (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bandra East Skywalk: बीएमसी के कई प्रोजेक्ट विभिन्न चुनौतियों के कारण समय पर पूरे नहीं होते हैं, ऐसे में यह मुंबईकरों के लिए असुविधा का कारण बन जाता है। बांद्रा पूर्व स्थित स्काईवॉक को वर्ष 2019 में असुरक्षित घोषित किया गया था, जिसके बाद उसे नया बनाने का फैसला बीएमसी ने किया था, लेकिन 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी स्काईवॉक का काम अधूरा है।
बीएमसी का कहना है कि यह स्काईवॉक दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक बनकर तैयार हो जाएगा और नए वर्ष में इसका उद्घाटन किया जा सकता है। 80 प्रतिशत काम हुआ पूरा बीएमसी के एक इंजीनियर ने बताया कि स्काईवॉक का काम लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो गया है। शेष बचा हुआ काम दिसंबर तक पूरा हो जाएगा।
संभावना जताई जा रही है कि नए वर्ष के अवसर पर इस ब्रिज का उद्घाटन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्काईवॉक के काम का अंतिम चरण शुरू हो गया है। इसे जल्द ही बांद्रा स्टेशन से जोड़ा जाएगा और छत का काम किया जाएगा। इसके बाद लाइटिंग और साइन बोर्ड का काम किया जाएगा।
बता दें कि स्काईवॉक आम जनता के लिए खुलने के बाद बांद्रा पूर्व में प्रतिदिन आने वाले लाखों कर्मचारियों को सहूलियत महसूस होगी। वर्तमान में उन्हें सड़कों पर चलना पड़ता है क्योंकि फूटपाथ पर स्काईवॉक बनाने के लिए लोहे के गर्डर सहित अन्य सामान रखे हुए हैं और फेरीवालों का भी कब्जा है।
बता दें कि, वर्ष 2019 में मनपा ने स्काईवॉक को बंद कर दिया था कि संचनात्मक ऑडिट में इसकी मरम्मत की सिफारिश की गई थी, मौजूदा संरचना की मरम्मत की लागत अधिक होने के कारण मनपा ने इसे फिर से नया बनाने का फैसला किया। वर्ष 2022 में लगभग 19 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर बढ़ा स्टेशन से आनंद कालेकर मार्ग स्थित कोर्ट तक स्काईवॉक निर्माण का ठेका दिया गया।
संरचना को तोड़ा भी गया, लेकिन काम शुरू होने से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसमें नए स्काईवॉक को एमएचडी कार्यालय तक बढ़ाने की मांग की गई।
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इस कारण मनपा ने पहले वाला ठेका रद्द कर दिया और जून 2022 में लगभग 83 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ नया टैंडर निकाला, नई केरुना के अनुसार स्काईवॉक की लंबाई 483 मीटर से बढ़ाकर लगभग 740 मीटर और चौडाई 42 मीटर से बढ़ाकर 6.5 मीटर कर दी गई है।
स्काईवॉक में तीन एस्केलेटर और छाया के लिए शेड (कैनोपी) भी लगाया जाएगा। यह स्काईवॉक 2008 में एमएमआरडीए द्वारा बनाया गया था, जिसे बाद में मनपा को सौंप दिया गया। वरिष्ठ नागरिक और बांद्रा (पूर्व) निवासी केपी पुरुषोत्तम नापर द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका में एफओबी को अनुपलब्धता पर चिंता जताई गई।
20 अगस्त 2025 के आदेश में न्यायमूर्ति गिरीश एस. कुलकर्णी और नायमूर्ति मंजूषा ए. देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि स्थिति काफी गंभीर प्रतीत होती है और वास्तव में हमें दुख होता है कि यात्रियों का जीवन इस तरह की मनपा की लापरवाही के कारण खतरे और असुविधा में डाला जा रहा है।
यात्रियों को न केवल गंदगी भरे माहौल में बल्कि अराजकता और उथल-पुथल भरी परिस्थितियों में चलना पड़ रहा है, क्योंकि न तो सुरक्षित फुटपाथ है और न ही फुटओवर ब्रिज।