कवि कुमार विश्वास (सोर्स- सोशल मीडिया)
Kumar Vishwas on Diwali Firecrackers: कवि कुमार विश्वास ने दिवाली से पहले आतिशबाजी को लेकर बड़ा बयान दिया है। मुंबई के षणमुखानंद हॉल में आयोजित एक कवि सम्मेलन में उन्होंने तीन साल से चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध के बहाने दिवाली पर आतिशबाजी का विरोध करने वालों को करारा जवाब दिया है।
कवि डॉ. कुमार विश्वास ने दिवाली से पूर्व पटाखों और आतिशबाजी पर होने वाली बहस को लेकर तीखा तंज कसा है। उन्होंने पटाखों पर बैन की वकालत करने वाले बुद्धिजीवियों पर हमला करते हुए युद्ध में इस्तेमाल होने वाले गोला-बारूद की तुलना दिवाली की फुलझड़ियों से की।
एक कार्यक्रम में डॉ. कुमार विश्वास ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले तीन साल से यूक्रेन और रूस आपस में भिड़े हुए हैं। इस दौरान इतना गोला-बारूद बर्बाद कर दिया गया है। इसके अलावा गाजा में भी लगातार गोला-बारूद चल रहा है। उन्होंने भारत के संदर्भ में भी बात की और ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद पाकिस्तान के साथ हुए तनाव को भारत का वॉर्मअप बताया। डॉ. विश्वास ने तंज कसते हुए कहा कि इतने बड़े पैमाने पर प्रयोग किए गए गोले-बारूद से ओजोन परत बिलकुल सुरक्षित रही। लेकिन, उन्होंने कटाक्ष किया कि दिवाली पर केवल चार फुलझड़ियां जलाने से ओजोन परत में बड़ा छेद हो जाएगा।
कुमार विश्वास ने आगे कहा कि ओजोन में चार फुलझड़ियों से इतना बड़ा छेद हो जाएगा कि उसमें से बहुत सारे बुद्धिजीवी ऊपर जाएंगे और नीचे आएंगे। उनका इशारा साफ तौर पर उन लोगों की तरफ था, जो केवल हिंदू त्योहारों पर होने वाली आतिशबाजी को पर्यावरण नुकसान का कारण मानते हैं।
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दरअसल, हर दिवाली पर आतिशबाजी से होने वाले पर्यावरण नुकसान को लेकर यह बहस छिड़ती है। एक पक्ष का मानना होता है कि यह एक सुनियोजित साजिश है जिसके तहत हिंदू त्योहारों को निशाना बनाने के लिए पर्यावरण का बहाना बनाया जाता है। इस पक्ष का तर्क है कि न्यू ईयर से लेकर दुनिया भर में होने वाले विभिन्न आयोजनों में जमकर आतिशबाजी होती है, लेकिन उन पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता। वहीं दूसरा पक्ष मानता है कि दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी से प्रदूषण फैलता है और पर्यावरण को नुकसान होता है। डॉ. कुमार विश्वास का यह बयान इसी वार्षिक बहस के बीच आया है।