मुंबई न्यूज
Mira-Bhayander Road Project: लगातार 5 वर्षों की मेहनत और फॉलो-अप के बाद आखिरकार मीरा-भाईंदर को मुंबई से सीधे जोड़ने वाली एक अहम सड़क परियोजना को हरी झंडी मिल गई है। दहिसर-भाईंदर मार्ग निर्माण में सबसे बड़ी अड़चन मानी जा रही साल्टपैन लैंड की 53.17 एकड़ जमीन अब राज्य सरकार और आगे मीरा-भाईंदर महानगरपालिका को हस्तांतरित कर दी गई है।
इससे 60 मीटर चौड़ी सड़क बनाने का रास्ता साफ हो गया है, जो अगले 3 वर्षों में तैयार होने की उम्मीद है। यह सड़क मुंबई के कोस्टल रोड से जुड़कर मीरा-भाईंदर को सीधे दक्षिण मुंबई से जोड़ेगी। पूरा प्रोजेक्ट तैयार होने पर नरीमन पॉइंट से मीरा-भाईंदर का सफर महज 30 मिनट में तय किया जा सकेगा।
परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा है कि 66 लगातार चार-पांच साल के फॉलो-अप का यह नतीजा है। अब यह मार्ग न केवल मीरा-भाईंदर, बल्कि वसई-विरार तक को मुंबई से मजबूती से जोड़ेगा। मछुआरा समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए वैकल्पिक एलाइनमेंट तय किया गया है। आने वाले वर्षों में मीरा-भाईंदर मुंबई का प्रमुख उपनगर बनकर उभरेगा।
शुरुआती प्रस्ताव के तहत सड़क को सीधे उत्तन से विरार तक समुद्र तट के किनारे ले जाने की योजना थी। मगर स्थानीय मछुआरा समाज ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि इससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा। इसके बाद परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से बात कर वैकल्पिक एलाइनमेंट पर सहमति बनाई अब यह मार्ग समुद्र किनारे की बजाय दहिसर-मीरा रोड से होकर गुजरेगा।
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इस परियोजना के पूरे होने पर न केवल मिरा-भाईंदर, बल्कि वसई-विरार भी सीधे तटीय मार्ग से जुड़ जाएंगे। यह कनेक्टिविटी पश्चिमी उपनगरों पर यातायात का बोझ कम करेगी और रोजाना लाखों यात्रियों को राहत मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मीरा-भाईंदर की पहचान एक ‘प्रमुख उपनगर के रूप में और मजबूत होगी।