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प्याज और बासमती पर मोदी सरकार के फैसले से किसको होगा फायदा, यही है असली सवाल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि इस निर्णय से दोनों फसलों का निर्यात बढ़ेगा और इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी। प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में और बासमती चावल का सबसे अधिक उत्पादन पंजाब और हरियाणा में होता है।

  • By विजय कुमार तिवारी
Updated On: Sep 14, 2024 | 01:52 PM

कांसेप्ट फोटो (सौ. नवभारत)

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नाशिक : केंद्र सरकार ने प्याज और बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाकर इन दोनों फसलों के निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों को राहत देने का प्रयास किया है. केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को घोषणा की कि प्याज पर प्रति टन 550 डॉलर और बासमती चावल पर प्रति टन 950 डॉलर का निर्यात मूल्य पूर्ण रूप से हटा दिया गया है। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है, जिससे किसान सरकार के इरादों को लेकर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें बढ़ रही होने के बावजूद यह फैसला लिया गया है, जिससे उपभोक्ता भी आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं।

इस निर्णय को लेने में देरी के कारण, प्याज उत्पादकों को अब विशेष लाभ नहीं होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। साथ ही प्याज पर लगने वाले 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क को कब हटाया जाएगा, इस पर उत्पादकों ने सवाल उठाया है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि इस निर्णय से दोनों फसलों का निर्यात बढ़ेगा और इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी। प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में और बासमती चावल का सबसे अधिक उत्पादन पंजाब और हरियाणा में होता है।

केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। इसके विरोध में उत्पादक राज्यों से विरोध हुआ, जिसके बाद मई में लोकसभा चुनावों के दौरान निर्यात प्रतिबंध वापस लेते हुए प्रति टन 550 डॉलर का निर्यात मूल्य लागू किया गया था। फिर भी किसानों के असंतुष्ट रहने के कारण भाजपा और उसके सहयोगी दलों को महाराष्ट्र में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। लोकसभा चुनावों के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार को सार्वजनिक सभा में प्याज उत्पादकों से माफी मांगनी पड़ी। अब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के मौके पर विपक्ष को प्याज और बासमती चावल का मुद्दा न मिले, इसके लिए सरकार उत्पादकों को खुश करने की कोशिश कर रही है, ऐसी चर्चा है।

वर्तमान में मलेशिया, यूएई, बांग्लादेश, श्रीलंका, कुवैत जैसे देशों में निर्यात किए जाने वाले प्याज की निर्यात में ‘एमईपी’ के कारण पिछले कुछ महीनों में भारी गिरावट आई है। अब इसे हटा दिए जाने से निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में जिला बाजार समितियों में प्याज की आवक कम होने से कीमतें स्थिर हैं।

इसे भी पढ़ें.. किसानों को ‘केंद्र’ की राहत, प्याज-बासमती हुए न्यूनतम निर्यात मूल्य से मुक्त

केंद्र सरकार का ये है दावा

  • प्याज निर्यात को बढ़ावा मिलने से किसानों की आय बढ़ेगी।
  • 38 लाख टन प्याज किसानों के पास पड़ा हुआ है।
  • इस साल के खरीफ सीजन में प्याज की बुआई का क्षेत्र 2.90 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल की खरीफ सीजन में बुआई का क्षेत्र 1.94 लाख हेक्टेयर था।

केंद्र सरकार के निर्णय से निर्यात के लिए रास्ता खुल गया है, लेकिन 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क अभी भी लागू है. वर्तमान में, नाशिक जिले की बाजार समितियों में प्याज की आवक कम होने से कीमतें 3,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हैं. ग्रीष्मकालीन प्याज अब किसानों के पास कम और व्यापारियों के पास अधिक स्टॉक में है, इसलिए इसका लाभ व्यापारी वर्ग को होगा. जिले में ग्रीष्मकालीन प्याज केवल 50 प्रतिशत शेष है.

ऐसी आने लगी प्रतिक्रिया
राज्य प्याज उत्पादक संघटना के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर 550 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य हटा दिया है, लेकिन प्याज निर्यात पर लगने वाले 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। हमने प्याज संघटना के माध्यम से लगातार मांग की है कि सरकार प्याज निर्यात पर कोई प्रतिबंध न लगाए।

Modi governments decision on onion and basmati before assembly elections

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Published On: Sep 14, 2024 | 01:52 PM

Topics:  

  • Basmati Rice
  • Haryana Assembly Elections
  • Maharashtra Assembly Elections
  • Maharashtra Assembly elections 2024

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