मनोज जरांगे ने धोखाधड़ी के मामले को लेकर अदालत का किया रूख
पुणे: मराठा आरक्षण की मांग कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने पुणे की एक कोर्ट में धोखाधड़ी के एक मामले को लेकर एक अर्जी दाखिल की है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2013 में एक मराठी नाटक के आयोजन से संबंधित वित्तीय विवाद हुए विवाद से जुड़े मामले में आरोपमुक्त करने के लिए अपने वकील के माध्यम से पुणे की एक अदालत में अर्जी दायर की है। वर्ष 2013 में एक मराठी नाटक के आयोजन से संबंधित वित्तीय विवाद को लेकर जरांगे और दो अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया था। जुलाई में अदालत ने जरांगे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
अगस्त में जरांगे के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) के समक्ष पेश होने के बाद गैर जमानती वारंट रद्द कर दिया गया था। जरांगे के वकील हर्षद निंबालकर और शिवम निंबालकर ने मंगलवार को को बताया, ‘‘हमने अदालत में एक अर्जी दायर कर आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया, क्योंकि जरांगे के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है। उनके खिलाफ लगाई गई धाराएं भी लागू नहीं होती हैं।”
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हर्षद निंबालकर ने कहा कि 2013 में जरांगे के खिलाफ मामला दर्ज करने का पुलिस को निर्देश देने वाला अदालत का आदेश दोषपूर्ण और अवैध था। निंबालकर ने कहा कि अदालत ने यह कहते हुए समझौता करने का सुझाव दिया कि शिकायतकर्ता जीवित नहीं है। अभियोजन पक्ष द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए समय दिए जाने के अनुरोध पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की।
जरांगे और सह-आरोपी ने 2012 में शिकायतकर्ता से जालना जिले में ‘शंभुराजे’ के छह शो के लिए संपर्क किया था और उसे 30 लाख रुपये की पेशकश की थी। शिकायतकर्ता छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज पर नाटकों का मंचन करता था। 16 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया था, लेकिन शेष राशि को लेकर कुछ विवाद हो गया, जिसके कारण शिकायत दर्ज कराई गई।
(एजेंसी इनपुट के साथ)