जबरन वसूली मामला
ठाणे: 6 मई को ठाणे की महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) अदालत ने बिल्डर से जबरन वसूली 2016 के मामले में अभियोजन पक्ष को झटका देते हुए गैंगस्टर सुरेश पुजारी और 11 अन्य को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि जांचकर्ता व्यापक जांच करने और पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रहे। ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया।
2016 में कर्मचारियों पर गोली चलाने का हुआ था प्रयास
इस मामले में आदेश 30 अप्रैल को जारी किया गया, लेकिन इसकी प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई। घटना के अनुसार दो हथियारबंद हमलावर 11 जुलाई 2016 को उल्हासनगर स्थित रियल एस्टेट डेवलपर सुमित चक्रवर्ती के कार्यालय में घुस आए और कर्मचारियों पर गोली चलाने का प्रयास किया। उन्होंने वहां धमकी भरा एक पत्र छोड़ा जिस पर एस.पी. सुरेश पुजारी का नाम लिखा था। इसे पुजारी गिरोह द्वारा जबरन वसूली के प्रयास का मामला बताया गया। हालांकि, इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी।
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संदेह के लाभ में आरोपी हुए बरी
न्यायाधीश अमित शेटे ने कहा, ऐसा कोई भी साक्ष्य रिकॉर्ड में नहीं लाया गया है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि अभियोजन पक्ष और गवाह आरोप साबित कर पाए हैं। उन्होंने कहा, इस प्रकार सभी आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। एजेंसी सही जांच करने में विफल रही, जिसके कारण आरोपी संदेह के लाभ और बरी होने के हकदार हैं। इन लोगों के खिलाफ 2016 में आरोप तय किए गए थे और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आपराधिक साजिश की धाराओं में मुकदमा चलाया गया था। कोर्ट ने दो फरार आरोपी रवींद्र और इकलाख शेख को भी बरी कर दिया है।