ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर सिफारिश की कि केंद्र सरकार समाज सुधारकों महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करे। महाराष्ट्र के वाणिज्य एवं प्रोटोकॉल मंत्री जयकुमार रावल ने यह प्रस्ताव पेश किया, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक छगन भुजबल और कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार ने इसके समर्थन में अपने विचार रखे।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि लोगों ने फुले को दी गई ‘महात्मा’ की उपाधि को मान्यता दी है और अब ‘भारत रत्न’ राज्य की ओर से मान्यता होगा। सीएम फडणवीस ने कहा कि महात्मा की उपाधि देश में हर चीज से ऊपर थी और केवल दो लोगों महात्मा फुले और महात्मा गांधी को यह सम्मान प्राप्त हुआ। ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले भारत के महान समाज सुधारक थे और शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुले और क्रांतिज्योति सावित्रीबाफुले को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का महाराष्ट्र विधानसभा का प्रस्ताव और केंद्र सरकार को की गई सिफारिश ऐतिहासिक है और इस पुरस्कार की गरिमा को बढ़ाती है।
ज्योतिराव फुले को ज्योतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है। वे महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता, व्यवसायी, जाति-विरोधी समाज सुधारक और लेखक थे। 19वीं सदी में वे शिक्षा का महत्व जानते थे। उन्होंने समाज के ताने सहकर और गालियां सुनकर भी अपनी पत्नी को पढ़ाया। सामाजिक जड़ताओं व कुरीतियों को दूर करने के लिए ज्योतिबा फुले ने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया।
वहीं सावित्रीबाई फुले ने अपना जीवन समतामूलक समाज के लिए समर्पित कर दिया। भारतीय शिक्षा के इतिहास में महिला शिक्षा के आगाज़ का ख्याल आते ही हमें साबित्रीबाई फुले याद आती हैं। उन्होंने देश में ऐसे समय महिला शिक्षा की शुरुआत की, जब महिलाओं का घर से निकलना भी मुश्किल था।
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सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को शिक्षा रूपी हथियार देने के संघर्ष में समाज से विरोध, अपमान, पत्थर और ना जाने कितना कुछ झेला, तब कहीं जाकर वे महिलाओं को शिक्षा रूपी आभा दे पाईं। वहीं, सावित्रीबाई फुले ने समाज सुधार में भी अपना अहम योगदान दिया है।