माणिकराव कोकाटे व जितेंद्र आव्हाड (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: नासिक की एक अदालत ने 20 फरवरी को महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को वर्ष 1995 के एक मामले में दोषी ठहराया जिसमें उन पर सरकारी कोटे के तहत निम्न आय वर्ग (LIG) श्रेणी में फ्लैट लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप था। इसके बाद से उनकी मुश्किलें बढ़ गई है।
कोर्ट के फैसले के बाद से ही कोकाटे के मंत्री पद और विधायकी खतरें में पड़ गई है। विपक्षी पार्टियां महायुति सरकार पर हमलावर है। हालांकि कृषि मंत्री कोकाटे ने दोषसिद्धि के बाद कहा कि अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है और वे इस फैसले को चुनौती देंगे।
अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर राज्य मंत्री माणिकराव कोकाटे को अयोग्य ठहराने की मांग की है। कोकाटे को धोखाधड़ी के एक मामले में दो साल के जेल की सजा सुनाई गई है।
जितेंद्र आव्हाड ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कोकाटे की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग की। आव्हाड ने पूछा कि कांग्रेस नेता सुनील केदार और राहुल गांधी की तुलना में कोकाटे के साथ अलग व्यवहार क्यों किया जा रहा है?
आव्हाड ने कहा कि “कोकाटे एक राजनीतिज्ञ और वकील होने के नाते अपने कार्यों के कानूनी नतीजों को भली-भांति जानते थे, फिर भी उन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए इस योजना का दुरुपयोग किया। जब अदालत कहता है कि समाज को संदेश देने की जरूरत है, तो यह विधायिका का कर्तव्य है कि वह दोषी ठहराए गए मंत्री से इस्तीफा मांगे।”
उन्होंने कहा कि “मेरी विधानसभा अध्यक्ष से अपील है कि कोकाटे को निचले सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाए।” बता दें कि सुनील केदार को महाराष्ट्र विधानसभा से और राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया था जब वे अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराए गए थे।
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शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया कि कोकाटे की सजा ने महाराष्ट्र के राजनीतिक चरित्र को धूमिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के धोखाधड़ी वाले कृत्यों के लिए किसी को भी कानून से छूट नहीं मिलनी चाहिए।
राज्य के बजट सत्र से पहले विपक्ष कोकाटे के इस्तीफे की मांग को लेकर मुखर है। राज्य का बजट सत्र 3 मार्च से शुरु होने वाला है। सूत्रों ने बताया कि कोकाटे अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ राहत पाने के लिए उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।