बंजारा कार्यकर्ता ने की अनुसूचित जनजाति दर्जे कि मांग, जालना में अनशन शुरू
Jalna Hunger Strike : जालना शहर में एक बंजारा कार्यकर्ता ने अपने समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर अनोखा प्रदर्शन शुरू किया।
Jalna News: महाराष्ट्र के जालना शहर में एक बंजारा कार्यकर्ता ने अपने समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर अनोखा प्रदर्शन शुरू किया। कार्यकर्ता ने एक पेड़ से बंधी चारपाई पर बैठकर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है। शनिवार को अंबड चौफुली क्षेत्र में अनशन शुरू करने वाले विजय चव्हाण ने कहा कि उन्होंने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
बंजारा समुदाय को तीन प्रतिशत आरक्षण के साथ वीजेएनटी (विमुक्त जाति और खानाबदोश जनजाति) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। समुदाय उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने वाले हैदराबाद गजट के कार्यान्वयन की मांग कर रहा है।
गलत तरीके से वीजेएनटी श्रेणी में रखा गया
चव्हाण ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था और पूर्ववर्ती हैदराबाद राज्य में आरक्षण का लाभ मिला था। हम चाहते हैं कि हमारे वही अधिकार बहाल हों। हैदराबाद गजट में हमें जनजाति के रूप में संदर्भित किया गया है, लेकिन मंडल काल के बाद गलत व्याख्या और प्रतिनिधित्व की कमी के कारण बंजारा समुदाय को महाराष्ट्र में गलत तरीके से वीजेएनटी श्रेणी में रखा गया।”
लड़ाई को दिल्ली तक ले जाएंगे
इस बीच ठाणे में समुदाय के नेताओं ने कहा कि नौ नवंबर को मुंबई के प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। पूर्व सांसद हरिभाऊ राठौड़ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रैली में हजारों लोग शामिल होंगे। राठौड़ ने कहा, “इसमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बंजारा समुदाय के दिग्गज वसंतराव नाइक के बेटे निरंजन नाइक भी शामिल होंगे। अगर राज्य सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो हम इस लड़ाई को दिल्ली तक ले जाएंगे।”
सितंबर में बंजारा समुदाय ने लंबे समय से लंबित अपनी मांग को लेकर मराठवाड़ा के विभिन्न जिलों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था। मुंबई के आजाद मैदान में कार्यकर्ता मनोज जरांगे के आंदोलन के बाद मराठा समुदाय के लिए हैदराबाद गजट लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के हालिया फैसले से अन्य समुदायों की ओर से भी इसी तरह की मांग तेज हो गई है। राजपत्र का उपयोग मराठों के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने में किया जा रहा है, जिससे उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
Banjara activists begin hunger strike in jalna demanding scheduled tribe status