2027 तक विदर्भ राज्य लेकर रहेंगे। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गोंदिया: वर्ष 1997 में भाजपा ने भुवनेश्वर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में विदर्भ के लिए एक प्रस्ताव रखा। अटलबिहारी वाजपेयी ने तुरंत तीन नए राज्य बनाए, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल और झारखंड। लेकिन उस समय केंद्र में शिवसेना की सरकार थी, इसलिए उनके डर से अटलजी ने विदर्भ नहीं दिया। 2014 के महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा ने विदर्भ के नाम पर यहां की जनता से वोट मांगे और विदर्भ की जनता ने उन पर भरोसा करते हुए भाजपा के 44 विधायक चुनकर दिए। एक बार फिर राज्य में शिवसेना-भाजपा सरकार सत्ता में आई और फिर से शिवसेना के विरोध के कारण केंद्र ने विदर्भ नहीं दिया।
दोनों बार भाजपा ने विदर्भ की जनता के साथ विश्वासघात किया और 2019 में विदर्भ राज्य आंदोलन समिति द्वारा विभिन्न आंदोलनों और जनजागरण अभियानों के कारण विदर्भ से भाजपा के 15 विधायक कम हो गए और अब विदर्भ से 3 एमएलसी भी कम हो गए। भाजपा और शिवसेना के अलग होने से विदर्भ राज्य के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार विदर्भ राज्य का निर्माण करना केंद्र सरकार और संसद का अधिकार है। राज्य सरकार चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, कोई फायदा नहीं होगा और ‘हम विदर्भ राज्य लेकर रहेंगे’ इस प्रकार की हुंकार विदर्भ राज्य आंदोलन समिति ने भंडारा में आयोजित एक रैली में भरी।
इस अवसर पर अध्यक्ष के रूप में वामनराव चटप (विराआंस अध्यक्ष, पूर्व विधायक), उद्घाटक प्रकाश पोहरे (किसान ब्रिगेड प्रमुख) उपस्थित थे, प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में रंजना मामर्डे (महिला आघाडी अध्यक्ष), पहले सत्र के अध्यक्ष एड. नीरज खांदेवाले थे, प्रा. प्रभाकर कोडबत्तूनवार (को.क.स.), पूर्व राज्यमंत्री रमेश गजबे, मुकेश मासूरकर, एड. सुरेश वानखेडे (उपाध्यक्ष विराआंस), तात्यासाहेब मते (को.क.स.), अहमद कादर (नाग विदर्भ समिति प्रमुख), छैलबिहारी अग्रवाल (को.क.स.) और नासीर जुम्मन शेख ने संबोधित किया।
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स्वतंत्र विदर्भ राज्य की मांग को लेकर पूर्व विदर्भ के भंडारा, गोंदिया, गड़चिरोली जिलों में गांव-गांव आंदोलन की चिंगारी सुलगाने तथा प्रभावी प्रचार प्रसार करने की दृष्टि से बालाजी लॉन, साई मंदिर के पास भंडारा में पूर्व विदर्भ का विदर्भ राज्य निर्माण सम्मेलन आयोजित किया गया। इन तीन जिलों के सम्मेलन में गोंदिया जिले से अनेक कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित थे। प्रस्तावना संजय केवट (गोंदिया-भंडारा विभाग प्रमुख) ने रखी। संचालन अतुल सतदेवे (गोंदिया जिला समन्वयक) ने किया। आभार वसंत गवली (अध्यक्ष गोंदिया विराआंस) ने माना।