गोंदिया न्यूज
Child Welfare Scheme: सरकार जहां मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के लाभार्थियों के बैंक खाते में हर महीने पैसे जमा करने की गारंटी दे रही है, वहीं इस योजना को लागू करने वाले महिला व बाल विकास विभाग की क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना के 1।50 लाख बच्चों को पैसे देने के लिए सरकार के पास पैसों की कमी है। इस वजह से ये लाभार्थी एक साल से लाभ से वंचित हैं।
महिला व बाल विकास विभाग की इस योजना के तहत अनाथ और 0 से 18 साल के ऐसे बच्चे जिन्होंने अपने माता या पिता को खो दिया है, उन्हें पढ़ाई और देखभाल के लिए हर महीने 2,250 रु। दिए जाते हैं। जबकि कोरोना में अपने माता-पिता को खोने वाले लाभार्थियों को केंद्र सरकार की तरफ से पीएम केयर फंड फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत हर महीने 4,000 रु. दिए जाते हैं।
अप्रैल 2025 यानी कोविड लाभार्थियों को पिछले आठ महीनों से एक भी रुपया नहीं मिला है। राज्य सरकार के फंड से चल रही क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना के लाभार्थियों को भी इस आर्थिक वर्ष में सिर्फ एक या दो महीने का ही लाभ मिला है। महाराष्ट्र में अभी इस योजना के करीब डेढ़ लाख लाभार्थी हैं।
नई योजना के लिए आवेदन करने वाले लाभार्थियों को एक से दो साल से पैसे नहीं मिले हैं, लेकिन उन्हें यह भी नहीं पता कि उनका आवेदन मंजूर हुआ है या नहीं। एकल महिला समिति के कार्यकर्ता मिलिंदकुमार सालवे चार साल से इस योजना के निधि और लंबित आवेदन को लेकर मंत्रालय और आयुक्तालय से समय-समय पर पहल कर रहे हैं। इस बारे में पहले विधानसभा में एक सवाल भी उठाया जा चुका है। लेकिन योजना को लागू करने के तरीके में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
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इस साल क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले बालसंगोपन योजना का सुवर्ण महोत्सव वर्ष है। लेकिन सरकार डेढ़ लाख बच्चों को निधि देने के लिए अनदेखी कर रहा है। शीतकालीन अधिवेशन में महिला व बाल विकास विभाग की तरफ से 5,024 करोड़ रु। की मांग पेश की गई हैं। इसमें से डेढ़ लाख बच्चों को लंबित निधि तुरंत बांटे जाए।
– मिलिंदकुमार सालवे, सदस्य मिशन वात्सल्य शासकीय समिति