अनिलकुमार बिसेन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
MNREGA: गोंदिया जिले के देवरी संभाग में देवरी पंचायत समिति पर मनरेगा योजना के अंतर्गत लगभग 300 करोड़ के बड़े घोटाले के आरोप लगते ही पूरे जिले में सनसनी मच गई। विरोधी गुटों ने इसे मुद्दा बनाकर जनचर्चा तेज कर दी। इसी बीच पंस के सभापति अनिलकुमार बिसेन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया और अपनी स्पष्ट भूमिका रखी।
सभापति बिसेन ने कहा कि वर्ष 2020 से 2025 के बीच देवरी पंस क्षेत्र में मनरेगा योजना के तहत केवल 105 करोड़ का ही खर्च हुआ है। जबकि हम पर 300 करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। यह आंकड़ा पूरी तरह मनगढ़ंत है और इसके पीछे केवल राजनीतिक षड्यंत्र है। ऐसे झूठे और बेबुनियाद आरोपों की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि पंस का पूरा कामकाज शासन की नियमावली के अनुसार किया गया है।
मंजूरी से लेकर भुगतान तक की हर प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से पूरी की गई। प्रत्येक वर्ष नियमित ऑडिट भी हुआ और शासन के पास सभी कार्यों का पूरा ब्योरा उपलब्ध है। देवरी तहसील की 55 ग्रापं में ‘मांगेगा उसे कुआं’ नीति के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम में लगभग 100 कुओं का लक्ष्य तय किया गया था। अब तक 500 से 600 कुओं का काम पूरा हो चुका है। महाराष्ट्र में तीसरे स्थान पर देवरी मनरेगा योजना के अंतर्गत श्रमिक निर्माण के मामले में देवरी तहसील पूरे महाराष्ट्र में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है।
सभापति बिसेन ने विवरण का ब्योरा दिया जिसमें बताया कि 2020–2021 में 8 करोड़ 38 लाख 87 हजार, 2021–2022 में 4 करोड़ 66 लाख, 2022–2023 में 16 करोड़ 3 लाख 53 हजार, 2023–2024 में 30 करोड़ 60 लाख 6 हजार, 2024–2025 में 38 करोड़ 27 हजार, 2025–2026 में 5 करोड़ 40 लाख 9 हजार इस तरह कुल खर्च 103 करोड़ 9 लाख 36 हजार रु. है। इसके साथ ही इस अवधि में 3 हजार छोटे–बड़े कार्य पूर्ण किए गए हैं, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट किया।
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बिसेन का कहना है कि विरोधियों के पास किसी प्रकार का ठोस सबूत नहीं है, फिर भी वे केवल अफवाह फैलाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। पंस ने अब तक जनता के विश्वास को टूटने नहीं दिया और आगे भी नहीं देगी। सभी काम 100 प्रतिशत पारदर्शिता से होंगे।
अफवाहों पर विश्वास न करें, सच्चाई शासन की जांच एजेंसी के माध्यम से ही सामने आएगी। बिसेन ने बताया कि देवरी पंस ने मनरेगा अंतर्गत 6,000 पशुशालाओं के कार्यों को मंजूरी दी, जिनमें से 3,000 लाभार्थियों के व्यक्तिगत खातों में सीधा फंड ट्रांसफर किया जा चुका है।