गोंदिया में पलायन (सौजन्य-नवभारत)
Gondia News: गोंदिया जिले में कच्ची सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। जिसके मरम्मत कार्य नहीं होने से सड़क बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। ग्रामीण लोग किसी तरह से आवागमन कर लेते हैं लेकिन बरसात के मौसम में सड़के पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में इन सड़कों पर वाहनों का चलना तो दूर पैदल चलना भी दूभर हो जाता है।
काश जनप्रतिनिधि 5 वर्ष तक मेहनत करें तो सभी के दिन फिर सकते हैं। जनप्रतिनिधि भले ही अपने लच्छेदार भाषणों से क्षेत्र में विकास की गंगा बहने की बात कहने से नहीं थक रहे। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत तो दुर्गम क्षेत्र के ग्रामीण भागों में जाने के बाद ही पता चलती है। गांवों से शहरों की ओर पलायन का सिलसिला भी कोई नया मसला नहीं है।
गांवों में कृषि भूमि के लगातार कम होने जाने से, आबादी बढ़ने और प्राकृतिक आपदाओं के चलते रोजी-रोटी की तलाश में ग्रामीणों को शहरों-कस्बों की ओर मुंह करना पड़ता है। गांवों में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी पलायन का एक दूसरा बड़ा कारण है। गांवों में रोजगार और शिक्षा के साथ-साथ बिजली, आवास, सड़क, संचार, स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाए शहरों की तुलना में बेहद कम है।
गांव-गांव में शुद्ध जल घरों तक नलों के माध्यम से पहुंचाना शासन की पहली और विशेष जिम्मेदारी है। फिर भी ग्रामीण इलाकों में जल शुद्धिकरण के यंत्रों का अभाव रहने से हर किसी के समझ से परे है। आज भी गांव के लोग कुएं व बोरवेल का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। गांव में जलशुद्धिकरण यंत्रों का अभाव है। गांव में शुद्ध पानी की गारंटी नहीं रही है।
जिससे गांव में नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। कुएं व बोरवेल से मिलने वाला पानी दूषित है या शुद्ध इसे लेकर हमेशा से ही असमंजस बना रहता है। गांव के लोगों को शुध्द जल मिले इसके लिए केवल ब्लीचिंग से जल को शुद्ध कर गांव के हर घर में जल पहुंचाने की जिम्मेदारी ग्रापं प्रशासन निभाए हुए हैं।
तीन हजार से अधिक की जनसंख्या वाले गांव में बिना किसी जांच व बिना किसी जलशुद्ध यंत्र के जलापूर्ति करना गांव के लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। प्रशासन से ग्रापं स्तर पर जल शुद्धिकरण यंत्र उपलब्ध कराकर देने की मांग की जा रही है। कहने के लिए ग्रामों में पानी की टंकियां बना दिए गए। लेकिन अब तक जलापूर्ति नहीं की गई। सिर्फ शोपीस की तरह खड़े नजर आते हैं।
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कहीं पर जल शुद्धिकरण यंत्र तो लगा दिए गए हैं। लेकिन बिगड़ने पर महीनों बाद भी सुधारने के लिए निधि नहीं है। क्या चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधि इन समस्यायों से वाकिफ नहीं है। यह बात जनता के मन में सवाल कर रही है। चुनाव के दौरान किए गए वादे पूरे करने के लिए नेता मेहनत करें तो शायद जनता के अच्छे दिन आ सकते हैं।