धान खरीदी केंद्र शुरू कर किसानों को राहत दे : जितेंद्र रहांगडाले
Gondia News: तिरोड़ा तहसील में किसानों का खरीफ सीजन का धान मंडी में तथा निजी व्यापारियों के यहां आना प्रारंभ हो चुका है। लेकिन मंडी में प्रति क्विंटल धान का रेट 1860 रु. तक मिल रहा है। इस रेट में से हमाली, दलाली, तोलाई में काटपिटकर 1800 रु. प्रति क्विंटल किसान के हाथ में मिल रहा है। आधारभूत केंद्र पर प्रति क्विंटल 2369 रु। रेट है। इस रेट में भाड़ा, हमाली, तोलाई का 69 रु. कट भी गए तो किसान के हाथ में 2300 रु. प्राप्त होंगे। जबकी कृषि उपज मंडी या निजी व्यापारी से मिलने वाले रेट में 500 रु. प्रति क्विंटल का फरक है।
किसान के पास उदाहरण के तौर पर 10 क्विंटल धान है, तो सिधे 5000 रु। का फरक होता है, किसान को इतनी बड़ी रक्कम का नुकसान झेलना पड़ेगा। आगे और भी ज्यादा धान है तो और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों को खेत से धान लाकर घर पर रखने में वहीं धान पुन: खरीदी केंद्र पर भेजने में डबल भाड़ा लगता है व बोरे में भरी हुई धान का चुहे नुकसान करते है व मकान में छेद कर मकान के निचे की जगह खोदकर मकान का हुलिया बदल देते है, जो मकान को अंदर से दुरी तक खोदकर इस धान को अंदर ले जाकर कई दिनों तक खाने का स्टॉक कर लेते है।
इन सभी झंझटों से बचने के लिए किसान खेत से तैयार हुआ धान मंडी में या आधारभूत खरीदी केंद्र पर ले जाना पसंद करता है। दूसरी ओर खरीदी केंद्रों पर मोटे किस्म का धान ही खरीदा जाता है। बारिक किस्म का धान भी खरीदा जाता है लेकिन बारिक व मोटे किस्म की धान का रेट 2369 रु. क्विंटल ही निश्चित होने से यहीं रेट किसानों को मिलता है। इन कारणों से मोटे किस्म का धान नहीं बेचा गया तो आगे इनके रेट बढ़ते नहीं, क्योंकि इस धान का चावल मोटा होने से आम नागरिक खाने के उपयोग में नही लाते, केवल सरकार यह मोटा धान खरीदकर पिसाई कर तैयार इस चावल को सरकारी स्वस्त धान्य दुकान में भेजती है।
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वहां से राशन कार्ड पर गरीबों को मुफ्त में बांटती है। इस वजह इस मोटे धान का रेट नहीं बढता व किसान धान रखना पसंद नहीं करता। ऐसे ही रबी धान के पैसे किसानों को नहीं मिल पाने से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है। केंद्रों पर खरीदी पोर्टल भी शुरू नहीं होने से किसान केंद्रों पर चक्कर काटते नजर आते है। अन्नदाता की माली हालात को देखते हुए शिघ्रता शिघ्र आधारभूत धान खरीदी केंद्र शुरू कर 500 रु. प्रति क्विंटल के फरक से बचाया जाए जिससे किसानों को राहत मिलेगी, ऐसी अपील कृषि उत्पन्न बाजार समिति सभापति जितेंद्र रहांगडाले ने की है।