कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Gondia Jivant Saatbarah Campaign: सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘जीवंत सातबारह’ अभियान ने जिले के हजारों किसानों के कानूनी उत्तराधिकारियों को पुनर्जीवित किया है। इस अभियान के तहत, सातबारह उतरा पर 12 हजार 308 मृत खाताधारकों के नाम कम करके उनके उत्तराधिकारियों के नाम जोड़े गए हैं। जिससे कई वर्षों से लंबित भूमि स्वामित्व का मुद्दा सुलझ गया है और उत्तराधिकारियों की समस्याओं का समाधान हुआ है। अब वे विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
‘जीवंत सातबारह’ अभियान के तहत, गोंदिया जिले में 17,212 मृत खाताधारक मिले हैं और 12,308 उत्तराधिकारियों के नाम बदलकर सातबारह पुनर्जीवित किया गया है। इससे न केवल जमीन के मालिकाना हक स्पष्ट हुए हैं, बल्कि इन किसानों के लिए सरकारी योजनाओं, फसल बीमा और कर्ज माफी का लाभ उठाना भी आसान हो गया है।
यह अभियान उन किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है जो अक्सर दस्तावेजों के अभाव में सरकारी सहायता से वंचित रह जाते हैं। इस अभियान में कुछ कठिनाइयां भी आईं। कुछ जगहों पर उत्तराधिकारियों में आम सहमति न बनने या दस्तावेज जुटाने में देरी के कारण प्रक्रिया रुकी रही।
राजस्व विभाग ने अभियान का दूसरा चरण भी तेजी से शुरू कर दिया है, जिससे बाकी बचे मामलों के भी जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है। ‘जीवंत सातबारह’ अभियान से कृषि भूमि दर्ज होने से किसानों को बड़ी राहत मिली है।
‘जीवंत सातबारह‘ अभियान से किसानों को कई लाभ मिलते हैं। सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है कि 12,308 उत्तराधिकारियों को जमीन का कानूनी अधिकार मिला है। इससे उत्तराधिकारियों की जमीन का नुकसान कम हुआ है और अब वे विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे।
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तहसील | मृत सातबारह (मृत खाताधारक) | वारिस बदले (उत्तराधिकारी जोड़कर पुनर्जीवित) |
---|---|---|
गोंदिया | 4,223 | 3,390 |
तिरोड़ा | 4,493 | 2,756 |
गोरेगांव | 1,452 | 1,241 |
देवरी | 3,171 | 2,770 |
आमगांव | 586 | 437 |
सालेकसा | 630 | 320 |
अर्जुनी मोरगांव | 2,657 | 1,694 |
सातबारह जीवित होने से उत्तराधिकारियों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। फसल बीमा या कर्ज माफी जैसी कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए, उनके नाम पर सातबारह उतारा होना जरूरी है।
उपजिलाधीश भैयासाहेब बेहरे ने कहा कि ‘जीवंत सातबारह’ अभियान से गोंदिया जिले के कई उत्तराधिकारियों को लाभ मिला है। 12 हजार से अधिक उत्तराधिकारियों के नाम बदले गए हैं। इससे पारिवारिक विवाद सुलझ गए हैं और फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।