ग्रामों में फर्जी पशु चिकित्सकों का बोलबाला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Overcharge From Farmers: बारिश के दिनों में पालतु मवेशियों को विभिन्न प्रकार की बीमारी का सामना करना पड़ता है। ग्रामों में तबेले में कीचड़ व गंदगी होने से मवेशियों के पैरों में जख्म होना, मच्छरों का काटना, शरीर पर लाल दाग आना, जुबान बंद रहना, चारा नही खाना आदि अन्य प्रकार की बीमारियों का समावेश होता है। इसी मौके का लाभ उठाने के लिए पशुधन का इलाज करने वाले फर्जी पशु चिकित्सक सक्रिय दिखाई देते है।
इसी में यदि पशुधन का रोग निदान करते समय गलत इलाज किया गया तो पशुओं पर संकट निर्मित हो जाता है। जिले के कई गांवों में ऐसे फर्जी पशु चिकित्सकों का बोलबाला होता है। स्वयं को चिकित्सक बताकर जानवरों का इलाज कर किसानों से अधिक वसूली की तस्वीर भी सामने आते रहती है। गलत इलाज से कई जानवरों की मौत भी हो जाती है। लेकिन ऐसे फर्जी चिकित्सकों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती।
जिले में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की जाती हैं। कृषि आधारित व्यवसाय के रूप में दुग्ध व्यवसाय भी होता है। क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन होने के कारण जिले सहित कुछ स्थानों पर दुग्ध संग्रहण केंद्र हैं। कुछ किसानों के पास सिंचाई सुविधा होने से बारह महीने में पशुओं के लिए चारा उपलब्ध होता है। अनेक किसानों के पास 10-15 जानवर होने से उन्हें चिकित्सकों की आवश्यकता पड़ती है।
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इससे फर्जी डाक्टरों की संख्या में इजाफा हुआ है। वे अपने घर, वाहनों पर डाक्टर का निशान लगाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। कुछ गांवों में करीब चार से पांच पशु चिकित्सक फर्जी कारोबार कर रहे हैं। उनके इलाज से कई जानवरों में विकलांगता आ जाती हैं। जिले सहित तहसील के सरकारी अस्पतालों के पशु चिकित्सालय में किसान पशुओं को इलाज कराने ले जाते है लेकिन वहां डाक्टर नहीं होने के कारण पशुपालक को लौटना पड़ता है।
परिणाम यह है कि क्षेत्र के किसानों को फर्जी डाक्टरों से इलाज कराना पड़ता है। लेकिन यंत्रणा द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती। अनेक जानवर विभिन्न बीमारियों से संक्रमित होते है। लेकिन सरकारी पशु चिकित्सों द्वारा अनदेखी की जाती है। ऐसे में किसानों को आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है। रोग नियंत्रित करने के लिए शिविर लगाने की जरूरत भी प्रतिपादित की जा रही है। प्रशासन से फर्जी पशु चिकित्सों के खिलाफ कार्रवाई की मांग जागरुक नागरिकों द्वारा की जा रही है।