
बुनियादी सुविधाओं से वंचित
Salekasa Basic Facilities Issue: डोंगरगढ़ रोड पर स्थित घाट से आगे करीब 20 किमी के दायरे में बसे ग्राम टोयागोंदी, जमाकुडो और दर्रेकसा के नागरिक आज भी खुद को आजादी से पहले के दौर में जीने को मजबूर महसूस कर रहे हैं। सड़क, नाली, बिजली और पानी जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। ग्रामीणों ने तीन वर्ष पहले जिलाधीश से मिलकर क्षेत्र की समस्याएँ बताई थीं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन अब उनकी ओर ध्यान देगा?
सालेकसा तहसील राज्य के पूर्वी छोर पर स्थित अंतिम तहसील है। यहाँ अपार वन संपदा मौजूद है। तहसील का पूर्वोत्तर भाग, जो प्रकृति से समृद्ध है, मुख्य रूप से आदिवासी बहुल है। घने जंगलों के कारण यहाँ पहले नक्सलियों का प्रभाव रहा था, लेकिन अब पुलिस की सख्ती से नक्सली गतिविधियाँ कम हो गई हैं। सरकार द्वारा आदिवासी, पिछड़े और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त सुविधाएँ उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है, परंतु तहसील के पूर्वी छोर पर घाट के नीचे बसे तीन ग्राम पंचायतों में योजनाएँ अब तक नहीं पहुँच पाई हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में भी क्षेत्र के लगभग 20 गांवों और बस्तियों में मोबाइल नेटवर्क कवरेज नहीं है।
स्थानीय नागरिकों को मोबाइल संचार के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के नेटवर्क पर निर्भर रहना पड़ता है। सरकारी कर्मचारी केवल वेतन लेने के लिए कार्यालयों में आते हैं, जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी प्राथमिक जरूरतों की भी अनदेखी की जा रही है। दर्रेकसा के अंतर्गत धनेगांव में हर वर्ष कोयापुनेम उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें राज्य व केंद्र के नेता उपस्थित होते हैं, लेकिन वे सिर्फ घोषणाएँ करके लौट जाते हैं। अधिकारी और कर्मचारी इस क्षेत्र में गश्त या निरीक्षण पर नहीं आते। अब नागरिक अपने अधिकारों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। तीनों गांवों के सरपंचों ने सीधे जिलाधीश से मिलकर समस्याओं के समाधान की मांग की है।
आजादी के बाद से मतदान मुरकुटडोह में होता आ रहा था, लेकिन 2019 के चुनाव में मतदान केंद्र को धनेगांव स्थानांतरित कर दिया गया। सड़क और परिवहन सुविधा के अभाव में ग्रामीणों को 17 किमी दूर जाना पड़ता है। इसी कारण ग्रामीणों ने लगातार तीन चुनावों का बहिष्कार किया।
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तहसील में सिंचाई सुविधा हेतु बेवारटोला परियोजना का निर्माण वर्ष 1996 में शुरू हुआ और 2014-15 में पूरा बताया गया। बावजूद इसके नहरों का निर्माण अब तक नहीं हुआ। परिणामस्वरूप चांदसूरज, विचारपुर, ठुबरुटोला, कोपालगढ़, जमाकुडो और भर्रीटोला गांव सिंचाई से वंचित हैं। ग्रामीणों में सवाल यह है कि क्या परियोजना सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई थी?






