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गोंदिया. कोरोना का प्रभाव और पर्यावरण मंडल से रेती घाटो की नीलामी की मंजूरी नहीं मिलने से पिछले 2 वर्षो से जिले के 27 रेती घाटो की नीलामी नहीं हुई थी. इसका लाभ उठाकर रेती माफियाओं ने जिले के रेती घाटो में बड़े पैमाने पर उत्खनन किया है. जिले में पिछले दो वर्ष में रेती माफियाओं की संख्या कुकुरमुत्ते की तरह उग आई है.
रेती माफियाओं के रेती घाट उत्खनन से शासन का करोड़ों रु. का राजस्व डुब गया है. इसी श्रृंखला में पिछले वर्ष भर में राजस्व विभाग ने रेती तस्करी प्रकरण में कुल 213 कार्रवाई की है. इसमें 70 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए है. वहीं 1 करोड़ 61 लाख 28 हजार रु. का जुर्माना वसूला गया है. इतना बड़ा दंड निर्धारित किया जा रहा है.
इसके बावजूद रेती तस्करों को कोई परवाह नहीं है. रेती उत्खनन कर बड़ी कमाई की जा रही है. जिससे राजनीतिक, अपराधिक क्षेत्र के प्रशासक मशीनरी के अनेक लोग मिलीभगत कर यह व्यवसाय कर रहे है. पिछले दो वर्ष में जिले में रेती तस्करों की बडी लॉबी तैयार हो गई है. इसमें कोई कार्रवाई की गई तो दंड निर्धारित किया जाता है. इस दंड की यह माफिया परवाह नहीं करते है.
यातायात पुलिस व आरटीओ कार्यालय द्वारा रेती के ओवरलोड यातायात को मूक सहमति होने का चित्र है. इसमें आरटीओ विभाग रेती वाहन चालकों के खिलाफ केवल नाममात्र कार्रवाई करता है. राजस्व मशीनरी के माध्यम से पकड़े गए वाहनों का अहवाल आरटीओ को देना अपेक्षित है लेकिन वैसा अहवाल नहीं दिया जा रहा है.
शासन ने रेती की कीमत 600 रु. ब्रास रखी है. लेकिन खुले बाजार में रेती 7 से 8 हजार रु. ब्रास पर खरीदी करनी पड़ रही है. बारिश के दिनों में रेती का दर 12 से 15 हजार रु. ब्रास हो जाता है. रेत माफियाओं के माध्यम से रेती स्टाक की जाती है. इसके बाद उसे उंचे दाम पर बेचा जाता है.
जिले की सभी तहसीलों में रेत तस्करो के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इसमें गोंदिया तहसील अंतर्गत 45, तिरोड़ा 65, गोरेगांव 5, सड़क अर्जुनी 29, अर्जुनी मोरगांव 15, आमगांव 32, देवरी 24 व सालेकसा तहसील अंतर्गत 12 स्थानों पर कार्रवाई का समावेश है.