छात्रों को लग रही गुटखे की लत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli News: छात्रों के लिए उनका स्कूली जीवन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। स्कूली जीवन से ही उनका उज्ज्वल भविष्य निर्माण होता है। इस पड़ाव में छात्र शिक्षा समेत खेलकूद में मग्न रहते है। किंतु ऐसे में छात्रों को गलत आदत लग जाएग तो, ऐसा ही मामला गड़चिरोली जिले के विभिन्न गांवों में दिखाई दे रहा है। वर्तमान में छात्र स्कूल से ज्यादा पानठेलों पर अपना समय बिताते दिखाई दे रहे है।
ऐसे में अनेक छात्रों को गुटखे की लत लगने की जानकारी मिली है। जिसके कारण छात्रों के स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होने की गंभीर संभावना जताई जा रही है। वर्तमान में जहां-तहां स्कूली छात्र पानठेलों पर गुटखा घोटते दिखाई दे रहे है। जिससे प्रशासन को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता होने की बात कही जा रही है।
राज्य के आखिरी छोर पर बसे तथा आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले गड़चिरोली जिले में सरकारी स्कूलों समेत निजी स्कूलों की संख्या अधिक है। जिले में लाखों छात्र शिक्षा ले रहे है। लेकिन ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र की स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता बरती नहीं जा रही है। सरकार द्वारा गुटखा और सुंगधित तंबाकू पर बंदी लाने के बाद इस कानून पर कड़ाई से अमल करने का आदेश दिया गया। किंतु गड़चिरोली जिले में ऐसा होते नहीं दिखाई दे रहा है।
गड़चिरोली जिला छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मध्यप्रदेश राज्य से सटा हुआ है। जिसके कारण संबंधित राज्यों से इस जिले में बड़ी आसानी से सुगंधित तंबाकू पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में दुर्गम और ग्रामीण क्षेत्र में प्रशासन के विभाग की कार्रवाई न के बराबर होने के कारण चहुओर खुलेआम सुंगधित तंबाकू का उपयोग हो रहा है। ऐसे में स्कूली छात्रों को खर्रे की लत लगने के कारण छात्र पानठेलों पर खर्रा घोटते दिखाई दे रहे है। खर्रे के सेवन के चलते कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना रहती है। बाजवूद इसके स्कूली छात्रों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता नहीं बरती जाने के कारण छात्र बड़े पैमाने पर खर्रे का सेवन करते दिखाई दे रहे है। लेकिन इस गंभीर मामले की ओर अनदेखी हो रही है।
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वर्तमान में जिले में मुक्तिपथ द्वारा वीडियो वैन के जरिये स्कूलों में पहुंचकर तथा वीडियो दिखाकर छात्रों को खर्रा और तंबाकू जैसे पदार्थ का सेवन न करने की अपील की जा रही है। लेकिन दूसरी ओर शहरी समेत ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के छात्रों ने खर्रे की तल लग रही है। जिससे उनके स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होने की संभावना जताई जा रही है। जिससे संबंधित विभाग और स्कूल प्रबंधन द्वारा छात्रों में जनजागृति करने की आवश्यकता है।