एटापल्ली में खुले में पड़ा करोड़ों का धान। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: जिले की एटापल्ली तहसील अंतर्गत आने वाले हेडरी, गेदा, तोडसा, कसनसूर, घोटसूर, पिपली बुर्गी, जारावंडी, कुरूमवाडा और एटापल्ली में धान खरीदी केंद्र हैं। संबंधित केंद्रों पर इस वर्ष आदिवासी विविध कार्यकारी संस्था द्वारा करोड़ों रूपयों का धान खरीदा गया है। लेकिन संबंधित केंद्रों पर धान रखने के लिए गोदाम नहीं होने के कारण केंद्रों पर खरीदा गया धान तिरपाल बिछाकर रखा गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में मानसून की शुरुआत होने वाली है, जिसके कारण खुले में रखा धान भिगने की गंभीर संभावना जताई जा रही है।
सरकार द्वारा करोड़ों रूपयों का धान खरीदने के बाद भी खरीदा गया धान रखने के लिए किसी भी तरह का प्रबंधन नहीं किया गया है। जिसके कारण एटापल्ली तहसील के सभी केंद्रों पर धान खुले में पड़ा है। किसान वर्ग मेहनत कर धान का उत्पादन लेते हैं और अपना धान संस्थाओं के माध्यम से सरकार को बेचते हैं। किसानों द्वारा खरीदा गया धान अब खुले में तिरपाल बिछाकर रखा गया है। अब काफी दिनों की कालावधि बित जाने के बाद भी धान को उठाया नहीं गया है।
वहीं संबंधित विभाग और संस्था द्वारा धान उठाने के संदर्भ में गंभीरता नहीं दिखाए जाने के कारण किसानों में तीव्र नाराजगी व्यक्त की जा रही है। आगामी कुछ ही दिनों में बरसात की शुरुआत होने की संभावना है, जिससे खुले में पड़े धान को नुकसान हो सकता है, ऐसी बात कही जा रही है। लाखों क्विंटल धान यदि बारिश में भीग गया तो, सरकार का करोड़ों रूपयों का नुकसान हो सकता है। जिससे संबंधित विभाग इस ओर गंभीरता से ध्यान देकर तत्काल खुले में रखा धान उठाए, ऐसी मांग तहसील के किसानों द्वारा की जा रही है।
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स्थानीय संस्था व प्रादेशिक प्रबंधक मिलीभगत कर जानबूझकर धान उठाने की ओर अनदेखी करते हैं। धान खरीदी के समय कुछ क्विंटल धान अधिक खरीदा जाता है। और इसके बाद बारिश का अंदाज देख धान उठाने में विलंब किया जाता है। जिसका खामियाजा बारिश में धान भीगने के बाद संस्था द्वारा धान का नुकसान दिखाया जाता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में महामंडल और स्थानीय संस्था जिम्मेदार होकर इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने में वित्तीय लेनदेन होने की संभावना रहती है। जिससे इस मामले की जांच करना जरूरी होने की बात कही जा रही है।
भाकपा के अहेरी विस अध्यक्ष सचिन मोतकुरवार ने कहा कि एटापल्ली तहसील समेत अहेरी उपविभाग के सभी केंद्रों पर धान खुले में पड़ा है। सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर धान खरीदी करने के बाद भी धान सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी नहीं स्वीकारी जा रही है। यदि धान समय पर नहीं उठाया गया तो, बारिश में भीगने की गंभीर संभावना है। जिससे सरकार का करोड़ों रूपयों का नुकसान हो सकता है। इसलिए आगामी 8 दिनों के भीतर धान उठाए, अन्यथा तीव्र आंदोलन किया जाएगा।