
अनोखा गांव (सौजन्य-नवभारत)
Unseen India: जब हम किसी गांव की कल्पना करते हैं, तो आमतौर पर 20–25 घर, ग्राम पंचायत, आंगनवाड़ी, बीच में कोई मंदिर और सड़कों पर चलती गाय-भैंसों की तस्वीर सामने आती है। लेकिन गड़चिरोली जिले की धानोरा तहसील में स्थित इरपुंडी नाम का गांव पूरी तरह अलग और अनोखा है। इस गांव में सिर्फ एक ही घर है, और वही घर पूरे गांव की आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
इस घर में झाड़े परिवार निवास करता है, जिसके वर्तमान में 7 सदस्य हैं। विशेष बात यह है कि, 2011 की सरकारी जनगणना में इरपुंडी गांव की स्वतंत्र पहचान दर्ज है। उस समय जनगणना में यहां 5 पुरुष और 1 महिला, कुल 6 लोगों की जनसंख्या दर्ज की गई थी। गडचिरोली की प्रसिद्ध संस्था ‘सर्च’ (सोसाइटी फॉर एजुकेशन, एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ) ने वर्ष 2024–25 के दौरान धानोरा तहसील के 230 गांवों में सर्वेक्षण किया, जिसमें इरपुंडी की जनसंख्या 9 बताए जाने की जानकारी सामने आई।
‘सर्च’ संस्था के संस्थापक डा. अभय बंग और डा. रानी बंग हैं। यह संस्था वर्षों से स्वास्थ्य और जनसंख्या पर शोध कार्य करती आ रही है। इरपुंडी गांव गड़चिरोली शहर से 42 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां से सबसे नजदीकी बड़ा गांव तुकुम है, जो लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। तुकुम तक पक्की सड़क है, लेकिन आगे जंगल से होकर लगभग आधा किलोमीटर कच्चा रास्ता है। इसके बाद झाड़े परिवार के घर तक कंक्रीट सड़क बनाई गई है।
झाड़े परिवार की आजीविका का मुख्य साधन धान की खेती है। उनके पास गाय-बैल, बकरियां और कुछ मुर्गियां भी हैं। रोजमर्रा की जरूरतों के लिए उन्हें तुकुम गांव पर निर्भर रहना पड़ता है। आशा सेविका अंजना उसेंडी और सर्च संस्था के स्वास्थ्य पर्यवेक्षक अनिल परसे समय-समय पर इरपुंडी जाकर स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।
यशोदा झाड़े आज भी नियमित रूप से खेतों में काम करती हैं। वे बताती हैं, हम कई पीढ़ियों से इसी इरपुंडी गांव में रहते आए हैं। भले ही हमारा एक ही परिवार है, लेकिन हमें कभी डर महसूस नहीं हुआ। लोग हाथी और बाघ की दहशत की बात करते हैं, पर आज तक हमारा उनका कभी सामना नहीं हुआ।
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तुकुम ग्राम पंचायत के अंतर्गत इरपुंडी गांव में सिर्फ एक ही घर है। वहां सड़क, नाली, बिजली और पानी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। वहां का एक सदस्य ग्राम पंचायत में प्रतिनिधि भी है।
कम जनसंख्या वाले गांव, पाड़े और टोले गड़चिरोली जिले की एक विशेष पहचान हैं। धानोरा तहसील में ऐसे 35 गांव हैं, जिनकी जनसंख्या 100 से कम है। इन गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी सुविधाएं पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है। इनमें से अधिकांश गांव घने जंगलों में बसे हैं। दिन के समय लोग घर पर नहीं होते, जिससे सेवाएं पहुंचाने में कठिनाई आती है।






