वनों को बचाने पहल करना जरूरी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli News: आदिवासी बहुल, पिछड़े जिले के रूप में पहचाने जाने वाले गड़चिरोली जिले में राज्य का सर्वाधिक वनक्षेत्र है। घना जंगल जिले के अभिमान की बात है। किंतु प्रतिकूल स्थिति के कारण यहां के वन्यजीवों का संवर्धन करना भी आह्वान बन रहा है। जिले में बड़ी मात्रा में अवैध पेड़ों की कटाई, वन्यजीवों की शिकार व उनके अंगों के तस्करी में निरंतर वृद्धि दिखाई दे रही है। वनविभाग की कार्रवाइयां हो रही है। किंतु तस्करी पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है। वनविभाग द्वारा वन्यजीवों के संवर्धन हेतु ठोस उपाययोजना नहीं किए जाने से भविष्य में अनेक वन्यजीव नामशेष होने का भय व्यक्त किया जा रहा है।
जिले में वनों को घना व झुड़पी गुटों में विभाजित किया जाता है। इन दोनों वनक्षेत्र में बड़ी मात्रा में वन्यजीवों का विचरण है। खासकर अहेरी उपविभाग के घने जंगलों में अनेक दुर्लभ वन्यजीवों का विचरण है। जिस कारण हमेशा जिले के क्षेत्र में शिकारी, तस्कर निगाहे गड़ाकर रहते है।
खासकर जिले के अंतिम छोर पर बसे सिरोंचा तहसील में बारहमासी बहने वाली इंद्रावती, प्राणहिता व गोदावरी नदीतट के परिसर वनव्याप्त है। वन्यप्राणियों के अधिवास के लिए उक्त परिसर अनुकूल होने के कारण इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में वन्यप्राणी पाए जाते है। वहीं इस जंगल में बेशकीमती सागौन व अन्य प्रजाति की लकड़ियां उपलब्ध है। सिरोंचा उपवनसंरक्षक कार्यालय अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में पेड़ों की कटाई, वन्यप्राणियों की शिकार, सागौन तस्करी ने सिर उठाया है।
जिले के घने जंगल में बेशकीमती सागौन, बांस, तेंदू पेड़ के साथ औषधियुक्त गुणधर्म होने वाले वनस्पति पाए जाते है। इसी जंगल में दुर्लभ वन्यजीव विचरण करते है। सिरोंचा उपवनसंरक्षक कार्यालय अंतर्गत आने वाले 8 वनपरिक्षेत्र में तेंदुआ, बाघ इन हिंसक श्वापदों के साथ मोर, जंगली मुर्गी, जंगली श्वान, शेकरु, हिरण, भेडियां, नीलगाय, चीतल, भालू, दुर्लभ पेंगोलिन जैसे वन्यप्राणियों का यहां मुक्त विचरण है। किंतु वन्यप्राणियों की शिकार, उनके अंगों की तस्करी पर उपाययोजना करने में वनविभाग विफल होता दिखाई दे रहा है।
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सिरोंचा उपवनसंरक्षक कार्यालय अंतर्गत आने वाले सिरोंचा, असरअल्ली, कमलापुर, जिमलगट्टा, देचली, प्राणहिता, झिंगानूर वनपरिक्षेत्र कार्यालय आते है। इन वनपरिक्षेत्र अंतर्गत औषधियुक्त वनस्पति पायी जा रही है। इसे व्यापक मांग है। वहीं प्राणहिता वन्यजीव अभयारण्य समेत वनपरिक्षेत्र कार्यालय देचली, कमलापुर, झिंगानूर अंतर्गत इंद्रावती नदी परिसर में दुर्लभ जंगली भैंसों का विचरण है। उक्त दुर्लभ प्राणी इंद्रावती नदी परिसर, कमलापुर वनपरिक्षेत्र अंतर्गत कोलामार्क जंगल परिसर में विचरण करने की वनविभाग के पास पंजीयन है।