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गड़चिरोली में वेटरनरी डॉक्टरों की कमी, एक के भरोसे चल रहे 3 अस्पताल

Gadchiroli News: महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले में पशुवैद्यकीय विभाग की स्थिति खराब है। यहां एक-एक पशु चिकित्सक के भरोसे 3-3 अस्पताल चल रहे हैं। इसका सीधा असर पशुओं के उपचार व अन्य सेवाओं पर हो रहा है।

  • By आकाश मसने
Updated On: Jul 20, 2025 | 10:01 PM

पशु चिकित्सक (सोर्स: सोशल मीडिया)

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गड़चिरोली: महाराष्ट्र के गड़चिरोली जिले में पशुवैद्यकीय विभाग की दयनीय स्थिति सामने आ रही है। अनेक पशुवैद्यकीय अधिकारियों के पद लंबे समय से रिक्त होने के कारण एक-एक पशु चिकित्सक को 2 से 3 अस्पतालों का बोझ उठाना पड़ रहा है। खासतौर पर गड़चिरोली तहसील में यह समस्या गंभीर रूप से देखी जा रही है।

गड़चिरोली तहसील के कुराडी तथा गुरवला इन 2 पशुवैद्यकीय केंद्रों की जिम्मेदारी एक ही अधिकारी के भरोसे है। इन दोनों केंद्रों की सेवा हद में कुल 16 गांव आते हैं, जिनमें पशुओं के इलाज, टीकाकरण और देखभाल की जिम्मेदारी अकेले डॉक्टर के कंधों पर है।

सरकार ने किसानों और पशुपालकों को समय पर सेवा देने के लिए गांव-गांव में पशुवैद्यकीय केंद्र शुरू किए हैं, लेकिन अनेक केंद्रों में पशु चिकित्सक तथा सहायकों की नियुक्ति ही नहीं हो पाई है। जिसके चलते जो चिकित्सक अथवा कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्हें अत्यधिक कार्यभार संभालना पड़ रहा है। इसका सीधा असर पशुओं के उपचार तथा अन्य सेवाओं पर हो रहा है।

गड़चिरोली जिले में पशुवैद्यकीय सेवाएं संकट में हैं। चिकित्सक तथा स्टाफ की कमी, टीकाकरण में गड़बड़ी तथा पशुखाद्य की अनिश्चितता जैसे मुद्दों के चलते किसानों और पशुपालकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

यह भी पढ़ें:- मुंबई में हैवानियत! शख्स ने मासूम पर छोड़ा पिटबुल, रोंगटे खड़े कर देगा VIDEO

टीकाकरण में अव्यवस्था, पशुपालक परेशान

गड़चिरोली जिले में मानसून से पहले 4.44 लाख टीकों की उपलब्धता की घोषणा की गई थी। इनमें घटसर्प, एकटांग्या (बकरियों के लिए गोट पॉक्स), पीपीआर तथा मुर्गियों के लिए आरडी जैसी बीमारियों की रोकथाम हेतु टीकाकरण किया गया।

रामाला में आयोजित एक विशेष शिविर में कुल 700 डोज दिए गए, जिसमें 400 बकरियों और भेड़ों को तथा 300 गाय, बैल और भैंसों को घटसर्प की वैक्सीन दी गई। हालांकि, टीकाकरण के कार्य में स्पष्ट रूप से अनियमितता सामने आई हैं। कई इलाकों में टीके समय पर नहीं पहुंच पाए या पशुपालकों को जानकारी नहीं दी गई, जिससे वे शिविर में नहीं पहुंच सके।

पशुओं के चारा-पानी पर स्पष्ट निर्देश नहीं

पशुखाद्य तथा पानी की व्यवस्था पर भी सवाल निर्माण हुआ है। खरीफ सीजन में पशुओं के लिए चारा और पानी की व्यवस्था को लेकर प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। संक्रमित पशुओं को अलग रखने और उन्हें अलग चारा-पानी देने की सिफारिश तो की गई है, परंतु इसके लिए जरूरी संसाधन या सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है।

Gadchiroli three hospitals under one veterinary doctors

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Published On: Jul 20, 2025 | 10:01 PM

Topics:  

  • Gadchiroli News
  • Maharashtra News
  • Veterinary

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