
नदी से पीने का पानी भरकर ले जाती महिलाएं (फोटो नवभारत)
Gadchiroli Water Crisis: गड़चिरोली जिले की अहेरी तहसील मुख्यालय से महज 13 किमी की दूरी पर बसा देवलमरी गांव में विगत अनेक वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव की महिलाओं को आज भी पीने के पानी के लिए 800 मीटर की दूरी तय कर प्राणहिता नदी में पहुंचना पड़ता है। जहां से महिलाएं प्रति दिन पीने का पानी ढोती हैं।
यह पानी पूरी तरह दूषित होने के कारण अब इसके सेवन से लोगों के स्वास्थ्य में विपरित असर होते दिखायी दे रहा है। सरकार और प्रशासन के सारे दावे इस गांव में विफल साबित होते दिखायी दे रहें है।
केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना भी इस गांव के लिए छलावा साबित हुई है। जिससे यहां के नागरिकों में रोष का वातावरण है। शिघ्र समस्या हल करने की मांग हो रही है।
जल जीवन मिशन भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य देश के हर ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पीने का पानी उपलब्ध कराना है। यह 15 अगस्त 2019 को शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य ‘हर घर जल’ सुनिश्चित करना है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में घरों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों आदि को पानी की आपूर्ति शामिल है। मात्र सरकार के मिशन के यह उद्देश्य देवलमरी गांव में भटक गये है।
प्रशासन ने देवलमरी गांव को ग्राम पंचायत का स्थान दिया है। लेकिन अब तक इस गांव में जलापूर्ति योजना के लिए किसी प्रकार के निधि का प्रावधान नहीं किया है। गांव से महज 800 मीटर की दूरी पर प्राणहिता नदी मौजूद है। इस नदी में 12 माह पानी उपलब्ध होता है। बावजूद इसके नागरिकों को शुध्द पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है।
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जिला प्रशासन द्वारा जिस गांव में बिजली की सुविधा नहीं हैं, ऐसे गांवों के लिए सोलर पर आधारित जलापूर्ति योजना चलाई जा रहीं है। लेकिन इस योजना से भी देवलमरी गांव को वंचित रहना पड़ रहा है। वर्तमान में शीतकाल के दिन शुरू होकर जलसंकट की तीव्रता काफी कम है।
लेकिन गर्मी के समय में देवलमरी के नागरिकों को भीषण जलसंकट का सामना भी करना पड़ता है। स्थिति के मद्देनजर देवलमरी गांव के नागरिकों के लिए प्राणहिता नदी पर जलापूर्ति योजना क्रियान्वित करने की मांग की जा रहीं है।
देवलमरी के सरपंच लक्ष्मण कन्नाके ने कहा कि देवलमरी ग्राम पंचायत के अंतर्गत काटेपल्ली, कोलपल्ली, मोसम व नंदीगांव आते हैं। इन गांवों में सोलर पर आधारित जलापूर्ति योजना शुरू है। लेकिन देवलमरी में हैंडपंप का पानी टंकी में चढ़ाकर इस पानी का उपयोग करने को कहा जा रहा है। यह पानी पूरी तरह अशुध्द होने के कारण लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए प्राणहिता नदी का सहारा ले रहें है। पृथक जलापूर्ति योजना शुरू करने की आवश्यकता है।
एक महिला ने बताया कि वर्तमान में धान कटाई का कार्य शुरू है। इस कार्य से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध होता है। लेकिन इस रोजगार को छोड़कर पहले पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। पानी के लिए हर दिन 800 मीटर पैदल चलकर प्राणहिता नदी में पहुंचना पड़ता है। जहां से पानी ढ़ोना पड़ रहा है। यह पानी भी अशुध्द है। मजबूरी में प्यास बुझाने के लिए इसका सेवन करना पड़ रहा है।






