नाव से अस्पताल जाते ग्रामीण (फोटो नवभारत)
Gadchiroli News In Hindi: गड़चिरोली जिले की आखिरी छोर पर बसी तथा तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटी सिरोंचा तहसील में आजादी के सात दशक बाद भी आवश्यकता अनुसार बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है। जिसका खामियाजा इस तहसील के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के नागरिकों को संघर्षमय जीवनयापन करना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक मामला सिरोंचा तहसील के मोयाबिनपेठा, कोटापल्ली परिसर में सामने आया है। इस क्षेत्र में बहने वाली प्राणहिता नदी पर पुलिया निर्माण नहीं किए जाने के कारण परिसर के करीब 20 गांवों के लोगों को नाव पर सवार होकर अस्पताल में पहुंचने की नौबत आ पड़ी है।
विशेषत: नदी पर पुलिया नहीं बनने के कारण सिरोंचा तहसील के अनेक गांवों के नागरिकों को नदी के रास्ते जानलेवा सफर करना पड़ रहा है। लेकिन इस मामले की ओर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा अनदेखी किए जाने से हमारा संघर्ष कब खत्म होगा? ऐसा सवाल भी इस परिसर के नागरिकों ने उपस्थित किया है।
सिरोंचा तहसील मुख्यालय से करीब 70 किमी दूरी पर स्थित रेगुंठा, मोवाविनपेठा, कोटापल्ली आदि गांव संवेदनशील क्षेत्र में बसे है। आजादी के सात दशक बीतने के बावजूद क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं किया गया। मोयाबिनपेठा क्षेत्र के करीब 20 गांव प्राणहिता नदी से सटे हैं। इन गांवों के नागरिक नाव से नदी पार कर तेलंगाना राज्य जाते हैं।
नदी पार करने के बाद मनचेरियाल जिला केवल 50 किमी दूर है, इसलिए इस क्षेत्र के अधिकांश नागरिक तेलंगाना पर निर्भर है। साथ ही क्षेत्र के नागरिकों का तेलंगाना राज्य के साथ रोटी बेटी का व्यवहार है। जिससे प्राणहिता नदी पर कोटापल्ली-वेमनपल्ली के बीच पुल का निर्माण करने की मांग लोगों ने की है।
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गड़चिरोली के कोटापल्ली गांव के समीप प्राणहिता नदी पर एक अंतरराष्ट्रीय पुल के निर्माण के लिए महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्य के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के लिए दौरा किया गया था।
इस दौरान पुल बनाने के संदर्भ में क्षेत्र के लोगों से चर्चा की गई थी। लेकिन अब तक पुलिया निर्माण करने संदर्भ में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। दोनों राज्यों के आर्थिक सहयोग से यहां पुल का निर्माण करें, ऐसी मांग परिसर के नागरिकों द्वारा पिछले अनेक वर्षों से की जा रही है। लेकिन नागरिकों की मांग को नजरअंदाज किया जा रहा है।