डॉक्टर्स मरीजों के लिए बन रहे देवदूत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli District: गड़चिरोली जिले के दुर्गम तहसील के रूप में भामरागड़ को पहचाना जाता है। इस तहसील का लाहेरी परिसर अतिदुर्गम क्षेत्र है। इस परिसर के अनेक गांवों में पहुंचने के लिए सड़क नहीं है, वहीं नदी, नालों पर पुलियां का अभाव होने से नागरिकों को आवागमन में भारी दिक्कते होती है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा के लिए मरीजों को व्यापक परेशानी होती है। लेकिन यहां कार्यरत डॉ. मृणाल उसेंडी समर्पित भाव से कार्य कर रहे है।विपरित स्थिति के बावजूद नदी, नालों को पार करते हुए वे मरीजों तक पहुंचकर सेवा दे रहे है। उनके इस कार्य की सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।
भामरागड़ तहसील में अनेक सुविधाओं का अभाव है। सड़कें, पुलिया का अभाव होने के चलते बरसात के दिनों में यहां के नागरिकों को नरकीय यातना भुगतनी पड़ती है। ऐसे में स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने के चलते यहां स्वास्थ्य विभाग असुविधाओं के कारण चर्चा में रहता है। लेकिन अतिदुर्गम क्षेत्र में बसे लाहेरी के चिकित्सक डॉ. मृणाल उसेंडी द्वारा समर्पित भाव से स्वास्थ्य सेवा देने से उनके कार्यों की प्रशंसा हो रही है। यहां के आदिवासी,दुर्गम व पहाड़ी क्षेत्र में सेवा देने वाले वैद्यकीय अधिकारी अपनी जान की बाजी लगाकर आदिवासी बंधुओं को सेवा दे रहे है। उफनते नदी, नालों को पार करने के साथ ही कीचड़ से भरी सड़कों से सफर कर सीधे मरीजों के पास पहुंचकर स्वास्थ्य सेवा दे रहे है।
बरसात के दिन शुरू है, ऐसे में परिसर के अनेक नदी, नालों पर पुलिया का निर्माण नहीं होने से बहते पानी में से ही आवगामन करना पड़ता है। लाहेरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत कुल 9 उपकेंद्र है, यहां के कुछ उपकेंद्र छोड़े तो अधिक से अधिक उपकेंद्र जुवी नाले के उस पार है। जिससे वहां पहुंचने के लिए जुवी नाला पार करना पड़ता है, इस नाले पर पुलियां तो है ही नहीं, बल्कि सड़क भी उचित रूप से नहीं है। जिससे व्यापक मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे विकट परिस्थिति में भी यहां के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मृणाल उसेंडी प्रामाणिक रूप से स्वास्थ्य सेवा देते नजर आ रहे है।
भामरागड़ तहसील के जुवी नाले के उस पार अनेक गांव है। इन गांवों तक पहुंचने के लिए उचित सड़क नहीं होने से डा। मृणाल उसेंडी कीचड़ से भरी सड़क से दोपहिया से राह खोजकर तथा नाले के पानी के प्रवाह को पार कर गांव में जाकर स्वास्थ्य सेवा दे रहे है। वे स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत आने वाले गोंगवाडा, महाकापाडी, भटपर, मर्दमालेंगा, हितलवाडा, बोलंगे, नेलगुंडा, पेनगुंडा, कुचेर, परायनार, मालिंगा, मिडदापल्ली व कवंडे आदि 13 गांव के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा देने का प्रयास कर रहे है।
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भामरागड़ तहसील के लाहेरी स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत कुल 9 उपकेंद्र है। इन उपकेंद्रों के तहत कुल 44 गांवों का समावेश है। यह गांव विकास से वंचित है। यहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं है, वहीं पुलिया का अभाव है। इसके बावजूद लाहेरी के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. उसेंडी परिसर के 44 गांवों के मरीजों को स्वास्थ्य सेवा दे रहे है। यहां के कुछ उपकेंद्र छोड़े तो सभी उपकेंद्र जुवी नाले के उस पार है। जिससे नाला पार कर स्वास्थ्य अधिकारी को उक्त उपकेंद्र में पहुंचना पड़ता है।
लाहेरी के स्वास्थ्य केंद्र में सेवा देने वाले डॉ. उसेंडी धानोरा तहसील के मुरमाडी के मूल निवासी है। जिससे वे जिले की स्थिति से परिचित है। जिससे लाहेरी जैसे दुर्गम परिसर में वे सेवा दे रहे है। भामरागड़ तहसील के धोडराज से कुछ दूरी पर जुवी नाला है। इसके बाद कीचड़ से भरी सड़क है। इस कीचड़मय सड़क से पहुंचकर परिसर में स्वास्थ्य सेवा दे रहे है। वे जिले के ही होने के कारण जिले के भौगोलिक स्थिति व आदिवासी बंधुओं के जीवनशैली से परिचित होने से वे साहस दिखाकर आदिवासी बंधुओं को स्वास्थ्य सेवा देने का प्रयास कर रहे है।