गड़चिरोली प्राथमिक शाला (सोर्स: नवभारत फोटो )
Gadchiroli Korchi education Crisis: गड़चिरोली जिले नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल कोरची तहसील के साथ सरकार की ओर से हर समय सौतेला व्यवहार होता आ रहा है। इस बार शिक्षा विभाग की ओर अनदेखी किये जाने से जिला परिषद की प्राथमिक शालाओं में शिक्षारत हजारों विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है। कोरची तहसील की कुल 95 प्राथमिक शालाओं में वर्तमान में केवल 139 शिक्षक कार्यरत है। हिसाब लगाया जाए तो कुछ स्कूलों में केवल 1 तो कुछ में 2 ही शिक्षक कार्यरत है। शिक्षकों की कमी के चलते इस वर्ष शैक्षणिक सत्र से ही विद्यार्थियों का बड़े पैमाने पर शैक्षणिक नुकसान हो रहा है। लेकिन इस ओर न तो जिला परिषद के शिक्षा विभाग का ध्यान हैं और न ही शिक्षा मंत्रालय ने अब तक कोई गंभीर कदम उठाए है।
कोरची तहसील में जिला परिषद की कुल 115 शालाएं कार्यरत है। इनमें 19 उच्च प्राथमिक, कक्षा 1 से 12वीं तक की 95 प्राथमिक शालाओं का समावेश है। इन सभी शालाओं में कुल 247 शिक्षक कार्यरत है। इनमें तहसील के बेड़गांव स्थित कक्षा 1 से 12वीं तक की शाला में 13 शिक्षकों को नियुक्त किया गया है।
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19 उच्च प्राथमिक शालाओं में 95 शिक्षक कार्यरत होने की जानकारी होकर प्राथमिक की 95 शालाओं के लिए शिक्षकों की कमी महसूस की जा रहीं है। इन शालाओं में नाममात्र 139 शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। सूत्रों के अनुसार 95 शालाओं में से अधिकांश शालाओं में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत होने की जानकारी मिली है।
वर्तमान में शिक्षकों पर शिक्षा देने के साथ साथ विभिन्न प्रकार के कार्य भी सौंपे गये है। इनमें शाला की जानकारी निरंतर रूप से सरकारी पोर्टल में अपलोड करना, माह में एक या दो बार सभाओं के लिए तहसील मुख्यालय में पहुंचना, प्रशिक्षण में अपनी उपस्थिति दर्शाना आदि अनेक कार्यों में शिक्षकों को व्यस्त कर दिया गया है। ऐसे में यह शिक्षक अपनी स्कूलों में पहुंचकर विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाएंगे? ऐसा सवाल अब अभिभावकों व ग्रामीणों द्वारा पूछा जा रहा है।
प्राथमिक शालाओं में शिक्षकों की कमी होने के कारण इन दिनों इन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने लगी है। जिससे निजी और अनुदानित शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती दिखायी दे रही है। लगातार हो रहे विद्यार्थियों के शैक्षणिक नुकसान को देखते हुए शालाओं में अतिरिक्त शिक्षकों को नियुक्त करने की मांग की जा रही है।
इस संदर्भ में प्रस्तुत प्रतिनिधि ने तहसील के अनेक गांवों में पहुंचकर शिक्षकों के संदर्भ में जानकारी लेने पर ग्रामीणों ने बताया कि शाला में कार्यरत शिक्षक गांवों में नहीं रहते। हर दिन अन्य गांवों से वे आवागमन करते है। कई दफां सरकारी कार्य का बहाना करने से पूरे दिन भर स्कूलों में ताला जड़ा रहता है। जिससे एक शिक्षक होने वाली शालाओं में शिक्षारत विद्यार्थियों का बड़े पैमाने पर शैक्षणिक नुकसान हो रहा है।
इस संदर्भ में शाला प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों द्वारा कई बार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायतें भी की गयी। लेकिन संबंधित शिक्षकों पर अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी। जिससे अभिभावकों समेत शाला प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों में असंतोष व्यक्त किया जा रहा है।