जिप स्कूलों के 481 कमरे हो चुके है जर्जर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: 23 जून से जिले में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होनेवाला है. इसी दिन जिलेभर की सभी स्कूलें एक साथ शुरू होगी। पहले दिन विद्यार्थियों के स्वागत के लिए शिक्षा विभाग ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है। वहीं शालाओं में पाठ्यपुस्तकों के साथ अन्य प्रकार की सामग्री भी भेज दी गयी है। लेकिन अब भी जिप शालाओं के जर्जर कमरों की ओर किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया है। शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार जिले भर की जिला परिषद शालाओं के कुल 481 कमरे जर्जर अवस्था में हैं।
पिछले शैक्षणिक सत्र में इन कक्षाओं में ही विद्यार्थियों को पढ़ाया गया। इस बार भी इन्हीं कमरों में शिक्षा दी जाएगी। बारिश के मौसम में जीर्ण अवस्था में होने वाले इन कमरों की छत टपकती है। वर्षों से इन कमरों की मरम्मत न किये जाने से किसी भी समय बड़ा हादसा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। जिससे इस ओर ध्यान देने की जरूरत है, ऐसी बात कहीं जा रही है। सोमवार से नया शैक्षणिक सत्र आरंभ होते ही जिला परिषद की शालाएं विद्यार्थियों की किलबिलाहट से गूंज उठेगी।
गड़चिरोली जिले में जिला परिषद के तहत 1 हजार 473 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं का समावेश है। इन शालाओं में कक्षा 1 से 10वीं तक की शिक्षा विद्यार्थियों को दी जाती है। लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की इमारत जर्जर अवस्था में है। सर्व शिक्षा विभाग ने जिप की स्कूलों को डिजिटल करने के लिए विभाग को करोड़ों रुपए की निधि उपलब्ध करायी है। लेकिन इस निधि से किसी प्रकार का मरम्मत कार्य होते नहीं दिखायी दे रहे है। अधिकांश शालाओं की छतों में दरार पड़ गयी है। दीवार भी ढहने की कगार पर आ पहुंची है। बारिश के दिनों में जर्जर हुई कक्षाओं की छत टपकती रहती है।
ऐसी स्थिति में ही विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है। अधिकांश स्कूलों में न तो बिजली हैं और न की लाइट व पंखे लगाए गये हैं। इसी कारण आज भी दुर्गम क्षेत्र के विद्यार्थी दर्जायुक्त शिक्षा से वंचित है। जिला परिषद के शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिलेभर में जिप शालाओं के कुल 481 कमरे जर्जर अवस्था में है। गत सत्र में इन कमरों में ही विद्यार्थियों को पढ़ाया गया।
इस वर्ष भी इन्हीं कमरों में विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करनी पड़ेगी। बारिश के दिनों में यह कमरे धोकादायक होने से यहां किसी भी समय बड़ा हादसा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। विद्यार्थियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देकर जर्जर कमरों को तत्काल मरम्मत करने की मांग अभिभावकों द्वारा की जा रही है।
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शालेय शिक्षा मंत्रालय ने जिला परिषद की सभी स्कूलों को डिजिटल कराने के निर्देश दिए है. इन शालाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को निजी स्कूल की तर्ज पर प्रभावी शिक्षा देने के आदेश भी निर्गमित किये गये हैं। लेकिन गढ़चिरोली जिले के सुदूर इलाकों में स्थित अनेक स्कूलों में अबतक बिजली आपूर्ति नहीं है। ऐसे में इन स्कूलों में विद्यार्थियों को डिजिटल शिक्षा कैसे मिलेगी, ऐसा सवाल भी अभिभावकों द्वारा पुछा जा रहा है।
बारिश के दिनों में अधिकांश गांवों में में एक बार बिजली गुल होने पर बिजली की राह ताकते- ताकते दिन व राते निकल जाती है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थिरूों का शैक्षणिक नुकसान होता है। वहीं अनेक स्कूले निर्माण किये गये स्वच्छतागृह भी जर्जर हो गये हैं। जिसके चलते विद्यार्थियों को खुले में शौच के लिए जान पड़ता है।
इस संदर्भ में प्राथमिक शिक्षणाधिकारी जी. एस. पवार ने बताया कि, जिलेभर में जिला परिषद की कुल 1 हजार 473 शालाएं कार्यरत है. विद्यार्थियों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए विभाग निरंतर कार्य कर रहा है। 481 कमरे जर्जर अवस्था में होने से प्रस्ताव प्राप्त हुए है। इसके अलावा जिले में 80 नए स्कूलों के निर्माणकार्य, 170 कक्षाओं के साथ 44 स्वच्छतागृह के निर्माणकार्य भी प्रस्तावित किए गए है। मंजूरी मिलते ही कार्य आरंभ किए जायेंगे।