
महाराष्ट्र की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: लाडली बहन और चुनाव से पहले शुरू की गई वैसी ही दूसरी लुभावनी योजनाओं के कारण सरकार की तिजोरी खाली हो गई है। सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने के कारण राज्य सरकार ने अब सभी स्तरों पर मितव्ययिता यानी संसाधनों का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने की नीति अपनाने का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने सभी विभागों को सख्त चेतावनी दी है।
शुक्रवार को इस संबंध में जारी किए गए परिपत्र में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय सभी विभागों के प्रमुख इसका उल्लेख करें कि विभाग को आवंटित बजट में कितनी बार वृद्धि होगी। इसके बिना मंत्रिमंडल के समक्ष नया प्रस्ताव प्रस्तुत न करें।
सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके अतिरिक्त, विभागों को अनुत्पादक व्यय को सीमित करने तथा निःशुल्क सरकारी योजनाओं को बंद करने या समेकित करने का निर्देश भी दिया है।
विधानसभा चुनाव 2024 में ऐतिहासिक जीत दिला कर बीजेपी ने महायुति की सरकार को बचाने वाली ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण’ (लाडली बहन) योजना अब सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है। सरकार भले ही दावा कर रही है कि राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक है लेकिन हकीकत ही है कि लाडली बहन योजना को जारी रखने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं।
राज्य विधानमंडल के हाल ही में संपन्न बजट सत्र में वर्ष 2025-26 के लिए 45,000 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का बजट पेश किया गया। बजट के अनुसार, राज्य सरकार के पास चालू वित्त वर्ष में व्यय के लिए 7 लाख 20 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं।
राजस्व संग्रहण को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष 45,891 करोड़ रुपए का घाटा तथा 1,36,235 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा अनुमानित है। राज्य की गंभीर स्थिति को देखते हुए खर्चों पर नियंत्रण के लिए विभिन्न मितव्ययिता उपाय शुरू किए गए हैं।
गौरतलब हो कि राजस्व संग्रह का 58 प्रतिशत हिस्सा अनिवार्य व्ययों पर खर्च होता है। इस लिए विभागों को प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करके इस व्यय को सीमित रखने का निर्देश दिया गया है। प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय विभागों को योजनाओं पर किए गए व्यय, दी गई प्रशासनिक स्वीकृतियों के साथ-साथ उपलब्ध आवंटन और देनदारियों के बारे में विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। मुख्य सचिव ने परिपत्र में निर्देश दिए हैं कि नए प्रस्ताव से विभाग का व्यय कितना बढ़ेगा, इसकी जानकारी कैबिनेट नोट में उपलब्ध कराई जाए।
परिपत्र में उत्पादक पूंजीगत व्यय में वृद्धि करने तथा मुफ्त योजनाओं को बंद करने के साथ-साथ अनिवार्य व्यय के संबंध में वित्त विभाग तथा कार्यक्रम व्यय के संबंध में वित्त एवं योजना विभाग की राय के बिना कैबिनेट प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं करने को कहा गया है।
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परिपत्र में यह भी कहा गया है कि यदि मंत्रिमंडल योजना के वित्तीय भार में परिवर्तन का प्रस्ताव करता है, तो सरकार को निर्णय जारी करने से पहले वित्त एवं योजना विभाग से पूर्व अनुमोदन लेना चाहिए।






