धुले का जल शोधन संयंत्र (फोटो नवभारत)
धुले: पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने धुले मनपा की जलापूर्ति व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक ज्ञापन देते हुए आरोप लगाया गया है कि मनपा प्रतिदिन गंदा पानी सप्लाई कर नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहा है। क्या टीडीएस और पीएच जांच नियमित रूप से नहीं की जाती? और क्या मनपा की जल शोधन क्षमता सचमुच रोजाना पानी की आपूर्ति के लिए पर्याप्त है? शिवसेना ने ऐसे सवाल उठाए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) के ज्ञापन के अनुसार, धुले शहर में तीन जल स्रोतों तापी, अक्कलपाड़ा और नाकाने झील से पानी खींचा जाता है। लेकिन उचित शुद्धिकरण के अभाव में कई क्षेत्रों में नागरिकों को अशुद्ध जल की आपूर्ति की जाती है। बाभले जल शोधन संयंत्र की क्षमता 48 एमएलडी और अक्कलपाड़ा संयंत्र की क्षमता 28 एमएलडी बताई गई है।
शिवसेना (यूबीटी) ने बताया है कि इन आंकड़ों और वास्तविक शुद्धिकरण प्रक्रिया के बीच बहुत बड़ा अंतर है। हनुमान टेकड़ी और डेडरगांव केंद्र जाम, हनुमान टेकड़ी जल शोधन केंद्र की क्षमता 18 एमएलडी होने के बावजूद सिर्फ 5 एमएलडी पानी ही शोधित हो पाता है।
पुरानी व्यवस्था के कारण यह केंद्र कई वर्षों से बंद पड़ा है। यद्यपि डेडरगांव जल शोधन संयंत्र की क्षमता 7 एमएलडी है, लेकिन केवल 4 एमएलडी पानी ही शुद्ध किया जाता है। ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि अमृत-2 योजना के तहत इन केंद्रों की क्षमता बढ़ाने का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
नाकाने झील के पानी को शुद्ध करने के लिए किस केंद्र का उपयोग किया जाता है, इस बारे में मनपा की ओर से कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। जब नमूनों का प्रतिदिन परीक्षण किया जाता है तो टीडीएस और पीएच स्तर में भिन्नता पाई जाती है। इसलिए, ऐसी संभावना है कि जल आपूर्ति के कारण नागरिक किडनी, लीवर और पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं।
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मनपा की लापरवाही का विरोध करते हुए जिला प्रमुख अतुल सोनवणे, पूर्व महापौर भगवान करंकाल, उप जिला प्रमुख नरेंद्र परदेशी, महानगर प्रमुख धीरज पाटिल, भरत मोरे, ललित माली, संदीप सूर्यवंशी, नितिन शिरसाठ, गुलाब माली व अन्य पदाधिकारियों ने मांग की है कि मनपा प्रशासन तुरंत सुधार कर धुले की जनता को पूर्ण रूप से स्वच्छ जलापूर्ति उपलब्ध कराए।