कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार (pic credit; social media)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने विपक्ष का प्रयास चौथे दिन भी जारी रहा। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने विधानसभा में सत्तारूढ़ महायुति के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को याद दिलाया कि आप लोगों ने चुनाव से पहले किसानों को एकमुश्त कर्ज माफी का आश्वासन दिया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद आप लोग अपने वादे से विमुख हो गए हैं। चुनाव से पहले वादे करना और सत्ता में आने के बाद उन्हें मझधार में छोड़ देना, किसानों के साथ धोखा है। ऐसा कहते हुए वडेट्टीवार ने सरकार से किसानों की पूरी कर्जमाफी की मांग की। इस दौरान विपक्षी विधायकों ने बार-बार किसानों का अपमान करने वाले कृषि मंत्री इस्तीफा दें, सोयाबीन और धान के दाम दें, ऐसे नारे भी सदन में लगाए।
कर्जमाफी देने का वादा किया था
अन्नदाता किसानों के विभिन्न मुद्दों पर बोलते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने सरकार की कड़ूी आलोचना की। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान महायुति ने कर्जमाफी देने का वादा किया था, लेकिन अब कर्जमाफी के लिए समिति नियुक्त करने की बात कही जा रही है। लेकिन यदि किसान समिति नहीं चाहते हैं, तो सीधे कर्जमाफी की जानी चाहिए। अब सोयाबीन और धान, जिन्हें उनकी कृषि उपज का डेढ़ गुना मूल्य देने की बात कही गई थी, उन्हें गारंटीकृत मूल्य नहीं मिल रहा है। राज्य के कृषि मंत्री लगातार किसानों का अपमान करने वाले बयान दे रहे हैं।
कृषि मंत्री को लगता है कि कृषि विभाग एक उजाड़ गांव की चौकीदारी है। इससे साफ होता है कि वे कितने असंवेदनशील हैं? उन्होंने कहा कि बार-बार किसानों का अपमान करने वाले कृषि मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। सत्ताधारी मंत्री और विधायक सभी बलिराजा का अपमान कर रहे हैं। वे कहते हैं कि हमने किसानों को पैसे दिए, मोदी ने छह हजार रुपए दिए, लेकिन खाद की कीमत कितनी बढ़ गई है, यूरिया के दाम क्या हैं? रासायनिक खाद की कीमत बढ़ गई है। फसलों के लिए दवाइयों की कीमत बढ़ गई है, तो किसानों को पैसे देने की भाषा क्या है?
चुनाव के बाद बदलाव क्यों?
वडेट्टीवार ने कहा कि चुनाव से पहले राज्य में बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों को शुष्क भूमि की फसलों के लिए 13,500 रुपए, बागवानी के लिए 27,000 रुपए और बागों के लिए 36,000 रुपए की सहायता दी गई थी और 3 हेक्टेयर तक की सीमा तय की गई थी. लेकिन अब चुनाव के बाद सत्ता में आने के बाद इसे घटाकर सूखी भूमि की फसलों के लिए 8,500 रुपए, बागवानी के लिए 17,000 रुपए और बगीचों के लिए 22,000 रुपए कर दिया गया. इतना ही नहीं 3 हेक्टेयर की सीमा को घटाकर 2 हेक्टेयर कर दिया गया.
अलग-अलग न्याय क्यों?
वडेट्टीवार ने कहा कि सरकार राज्य में विभिन्न परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराती है. सरकार उद्योगपतियों के कर्ज माफ करती है. तो किसानों की मदद करते समय सरकार के हाथ-पांव क्यों फूल जाते हैं? उन्होंने कहा कि विपक्ष का शक्तिपीठ हाईवे का विरोध करने का आरोल लगाया जा रहा है, लेकिन किसानों को शक्तिपीठ हाईवे नहीं चाहिए। उनकी उपजाऊ जमीन इस हाईवे में चली जाएगी। इसलिए विपक्ष किसानों की आवाज उठा रहा है।
फसल बीमा के नाम पर किसने पैसे लिए?
किसानों को सोयाबीन और कपास को दाम नहीं मिले हैं। फसल लगाते समय जो खर्च हुआ, उसका भुगतान भी किसानों को नहीं हो रहा है। किसानों को धान का पैसा अभी तक नहीं मिला है। हम चिल्ला रहे हैं लेकिन सरकार सुनने को तैयार ही नहीं है। फसल बीमा कंपनियों ने भी किसानों को धोखा दिया है। किसान पैसे देते हैं, लेकिन उन्हें बीमा नहीं मिलता। फसल बीमा के नाम पर किसने पैसे लिए? उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि किस अधिकारी ने कृषि भूमि दिखाकर पैसे हड़पे हैं, इसकी जांच होनी चाहिए।