मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (pic credit; social media)
मुंबई: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए 4 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मनोनित किया है। इनमें वरिष्ठ विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, इतिहासकार मीना कुमारी जैन और सामाजिक कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर शामिल हैं। यह 4 नामांकन उन खाली जगहों को भरने के लिए किया गया है, जो पूर्व नामांकित सदस्यों के सेवानिवृत्त (Retire) होने के बाद खाली हुए थे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उज्ज्वल निकम के नामांकन पर खुशी जताते हुए कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने उज्ज्वल निकम जैसे व्यक्तित्व को राज्यसभा में भेजा। उन्होंने आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में विशेष लोक अभियोजक के रूप में उल्लेखनीय कार्य किया है। प्रधानमंत्री मोदी हमेशा राष्ट्रवादियों के साथ खड़े रहते हैं। मैं उन्हें अदालत से संसद तक की इस यात्रा के लिए बधाई देता हूं।
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प्रसिद्ध अभियोजकों में गिने जाते हैं उज्ज्वल निकम
उज्ज्वल निकम देश के सबसे प्रसिद्ध अभियोजकों में गिने जाते हैं। उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुकदमे सहित कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में विशेष लोक अभियोजक की भूमिका निभाई है। साल 2024 के आम चुनावों में उन्हें बीजेपी ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी वर्षा गायकवाड़ के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था।
यह नामांकन भारतीय संविधान के 80(1) (क) के तहत किया गया है, जो राष्ट्रपति को साहित्य, विज्ञान, कला और समाजसेवा के क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित करने की शक्ति देता है।
लोकसभा चुनाव में मिली थी हार
उज्ज्वल निकम साल 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने निकम को संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत नॉमिनेट किया है। इस अनुच्छेद के तहत कला, साहित्य, विज्ञान या समाज सेवा में खास योगदान देने वालों को राज्यसभा के लिए चुना जा सकता है।
1994 में माकपा वालों ने काट दिए थे सदानंदन मस्ते के पैर
राज्यसभा के लिए नामित किए गए सी. सदानंदन मस्ते केरल के भाजपा सदस्य हैं। वे पूर्व में शिक्षक रहे हैं। उन्हें भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। वहीं, सदानंदन को 25 जनवरी, 1994 में राजनीतिक हिंसा के शिकार बनाया गया था। तब उनके पैतृक गांव पेरिंचरी के पास माकपा कार्यकर्ताओं ने उनके दोनों पैर काट दिए थे।