बाघ के बंदोबस्त की मांग पर रास्ता रोका (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chandrapur District: पिछले कुछ महीनों से बाघ के हमले में महिलाओं और पालतू जानवरों के मारे जाने से भड़के किसानों ने शुभम मंडपे के नेतृत्व में मंगलवार की सुबह 11 बजे शंकरपुर, भिसी राजमार्ग पर अंबोली चौराहे पर रास्ता रोककर वन विभाग के प्रति विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने वन विभाग से हिंसक बाघ पर नियंत्रण स्थापित करने की मांग की। लवारी, चिचला शास्त्री, अंबोली, वाकरला, बोरगांव, गड़पिपरी, पुयार्डंड, शिरसपुर, जावराबोडी, सठगांव, शंकरपुर के कई किसानों ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।
बाघ की दहशत की वजह से किसान लंबे समय से खेतों में काम करने जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। खेती के मौसम में किसानों को काफी नुकसान हो रहा है, इसलिए क्षेत्र में बाघों पर स्थायी नियंत्रण के लिए सभी दलों और क्षेत्र के सभी किसानों द्वारा यह सड़क जाम विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस समय वन विभाग के अधिकारी चिमुर देउलकर मौजूद थे लेकिन ब्रह्मपुरी से वरिष्ठ अधिकारी के न आने पर किसानों का गुस्सा और भड़क गया। किसानों ने ठान लिया कि जब तक वरिष्ठ अधिकारी मौके पर आकर उनकी मांगें लिखित रूप में स्वीकार नहीं कर लेते, तब तक वे सड़क से नहीं हटेंगे। चिमूर क्षेत्र के विधायक कीर्तिकुमार भांगड़िया ने धरना स्थल का दौरा किया और वन विभाग को आठ दिनों के भीतर क्षेत्र में बाघों पर नियंत्रण करने का आदेश दिया। किसानों की मांग के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर बुलाया गया।
अगले आठ दिनों में क्षेत्र के सभी बाघों को पकड़कर अन्यत्र ले जाने की लिखित सहमति के बाद ही किसानों ने धरना वापस लिया। इस धरना आंदोलन में मनोज सरदार, कांग्रेस के तहसील प्रमुख विजय गावंडे, रोशन ढोक, मनोहर रंधाये, प्रफुल डांगे, उपसरपंच वैभव ठाकरे, सरपंच अरविंद राउत, जितेंद्र राउत, परसराम बारेकर, प्रफुल खोबरागड़े, उद्धव मोहोल, नकुल राउत, उद्धव खाड़े, नंदू ठाकरे और क्षेत्र के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।
ये भी पढ़े: चंद्रपुर जिला परिषद की 56 सीटों का आरक्षण घोषित, 28 पर महिलाएं करेंगी नेतृत्व
चूँकि इस गांव के बाहरी इलाके में हर दिन बाघ देखे जाते हैं और बाघों के हमलों में पालतू जानवरों के साथ-साथ इंसान भी मारे जाते हैं, इसलिए इस गांव के बाहरी इलाके में भय का माहौल बन गया है।