गोसीखुर्द परियोजना के पैच कार्य अधूरे (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gosikhurd Project: गोसीखुर्द परियोजना से किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने की उम्मीद अब भी अधूरी है। ग्रीष्मकालीन फसलों के लिए पानी न मिलने से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं। गोसीखुर्द परियोजना के अधिकारी भले ही किसानों को आश्वासन देते रहे हों, लेकिन नहर के पांच पैच कार्य अभी भी अधूरे हैं। यही कारण है कि सिंचाई की गारंटी देने को कोई भी तैयार नहीं है।
ब्रम्हपुरी और नागभीड़ के सैकड़ों किसानों ने हाल ही में गोसीखुर्द परियोजना कार्यालय का घेराव किया था। कई बार ज्ञापन देने के बावजूद जब कोई समाधान नहीं निकला, तो किसानों ने दो दिन पूर्व चक्काजाम किया। अब खुलासा हुआ है कि परियोजना के कई महत्वपूर्ण कार्य अभी तक पूर्ण ही नहीं हुए हैं, जिसके चलते लाभक्षेत्रों तक पूर्ण क्षमता से पानी पहुंचाना असंभव बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, गोसीखुर्द परियोजना की नहर के पैच क्रमांक 31, 32, 34, 39 और 43 पर अभी भी कार्य शेष है। इसी वजह से दाहिनी नहर के 22 किमी तक सिंचाई योजना सक्रिय नहीं हो पा रही है। परियोजना से जुड़े वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि किसानों को पूरी क्षमता से सिंचाई पानी मिलने में 2027 तक इंतजार करना पड़ेगा। ग्रीष्मकालीन धान फसल के लिए पानी की मांग को लेकर 56 जल उपयोगकर्ता संगठनों ने 14 नवंबर को विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मौजूदा स्थिति स्पष्ट की।
गोसीखुर्द दाहिनी नहर का 99.5 किमी कार्य पूरा हो चुका है, जिसके माध्यम से खरीफ सीज़न में सिंचाई पानी दिया जाता है। दाहिनी नहर से 83,179 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का लक्ष्य है। वर्तमान में परियोजना से असोला-मेंढा तोप परियोजना को 199.50 दलाघमी पानी दिया जा रहा है, जिसकी सिंचाई क्षमता 55,855 हेक्टेयर है।
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नहर के किमी 21, 31, 32, 34, 39 और 43 पर खुदाई व लाइनिंग के बाद, वर्ष 2009–10 में हुई भारी बारिश से इन क्षेत्रों की जमीन कमजोर हो गई थी। इन हिस्सों में नहर की संरचना गंभीर रूप से प्रभावित हुई और उसकी क्षमता घट गई। इसी कारण प्रस्तावित सिंचाई क्षमता के अनुसार पानी देना संभव नहीं है।
जब तक इन क्रिटिकल पैच का कार्य पूरा नहीं होता, रबी और गर्मियों की सिंचाई योजना सिर्फ किमी 22 तक ही सीमित रहेगी।
कार्य पूर्ण होते ही आगे के हिस्सों में पानी आपूर्ति बढ़ाई जाएगी।