हादसे मृत सांभर (फोटो नवभारत)
Sambhar Died In Train Accident In Chandrapur: चंद्रपुर जिले के पास रविवार सुबह एक ट्रेन हादसे में मादा सांभर की मौत हो गई। यह घटना वन विकास निगम के मामल वन क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 410 में हुई। बताया जा रहा है कि सुबह के समय रेलगाड़ी की चपेट में आने से सांभर की मौके पर ही मौत हो गई। वन विभाग की टीम ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर पंचनामा किया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।
वर्ष 2025 में अब तक चंद्रपुर वन क्षेत्र में कई जानवर रेल या अन्य दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, 19 जनवरी को एक बाघ, 25 मई को एक भालू, 28 जून को एक सांभर और उसका शावक, 5 जुलाई को एक जंगली सुअर, 30 अगस्त को दो भालू, 8 सितंबर को एक सांभर, 17 सितंबर को एक तेंदुआ और अब 12 अक्टूबर को एक मादा सांभर की मौत हुई है।
ट्रेन दुर्घटनाओं में कुल 10 जंगली जानवरों की दुखद मौत हो गई है, जिसमें 1 बाघ, 1 तेंदुआ, 3 भालू, 4 सांभर और 1 जंगली सुअर शामिल हैं। बल्लारशाह-गोंदिया रेल मार्ग जानवरों के लिए मौत का जाल बन गया है।
ट्रेन दुर्घटनाओं में अब तक असंख्य वन्यजीवों की मौत हो चुकी है, और ऐसा लगता है कि रेलवे प्रशासन वन्यजीवों के लिए उपचारात्मक योजना के बारे में गंभीर नहीं है। यदि समय रहते उपाय किया गया होता, तो कई वन्यजीवों की जान बचाई जा सकती थी।
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बल्लारशाह-गोंदिया रेलवे लाइन चंद्रपुर, ब्रह्मपुरी, नागझिरा, गोंदिया के जंगलों से होकर गुजरती है और वन्यजीवों के प्रवास मार्ग बाधित होते हैं। उन्हें एक जंगल से दूसरे जंगल में जाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप रेल दुर्घटनाओं में जानमाल का नुकसान होता है।
बल्लारशाह-गोंदिया रेलवे लाइन तेलंगाना के कवल टाइगर रिजर्व, महाराष्ट्र के कन्हालगांव अभयारण्य, ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व, उमरेड करहांडला-नवेगांव-नागझिरा के प्रवास मार्गों को बाधित कर रही है। यह एक बड़ी समस्या है कि इतने महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग के बावजूद रेलवे प्रशासन और वन विभाग अभी तक उपाय करने में विफल हो रहे हैं।