जीआर की प्रतियां जलाते ओबीसी समाज के लोग (फोटो नवभारत)
Chandrapur OBC Protest: ओबीसी समुदाय की ओर से, महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने के फैसले के विरोध में गुरुवार 4 सितंबर की दोपहर 3 बजे चंद्रपुर के गांधी चौक परिसर में ओबीसी समुदाय द्वारा शासकिय जीआर की होली जलाकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मराठों का ओबीसीकरण ओबीसी समुदाय के साथ अन्याय है और सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की। पप्पू देशमुख और प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि सरकार 48 घंटे के भीतर इस फैसले को रद्द करें, अन्यथा राष्ट्रीय ओबीसी आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर का घेराव किया जाएगा और ओबीसी महामोर्चा का आयोजन किया जाएगा।
हम हैदराबाद गैझेट में दर्ज प्रविष्टियों के आधार पर मराठा समाज को आरक्षण देने के निर्णय और शासकिय निर्णय में ‘गांव/रिश्ता/गोत्र’ शब्दों के आधार पर मराठा समुदाय को आरक्षण देने के निर्णय का कड़ा विरोध करते हैं। केवल शपथ पत्र प्रस्तुत करके जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करना राजस्व एवं सामाजिक न्याय विभाग के नियमों का उल्लंघन है।
अनिल डहाके यह निर्णय ओबीसी, घुमंतू और विमुक्त समुदायों के आरक्षण में गुप्त रूप से घुसपैठ करने का एक प्रयास है। यह निर्णय पूरी तरह से ओबीसी आरक्षण पर हमला है और इससे ओबीसी आरक्षण में बड़ी संख्या में लोगों की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
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इस अवसर पर नंदू नागरकर, संदीप गिर्हे, विलास माथनकर, रामू तिवारी, पप्पू देशमुख, प्रो। अनिल डहाके, प्रवीण पडवेकर, अजय वैरागड़े, राजू बनकर, विकास टिकेदार, सतीश भिवगड़े, शालिक फाले, सुनीता धोबे, घनश्याम वासेकर, भालचंद्र दानव, चंदा वैरागड़े, सुनीता अग्रवाल, राजेश अडुर, निलेश ठाकरे, समेत ओबीसी संगठनों, विभिन्न जाति संगठनों के प्रतिनिधि और ओबीसी नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
भारतीय संविधान में जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने की एक विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित की गई है। राजस्व एवं सामाजिक न्याय विभाग ने समय-समय पर दस्तावेज़ निर्धारित किए हैं। हालांकि, सरकार ने अपने ही विभागों के नियमों को ताक पर रखकर संविधान का उल्लंघन किया है।
इससे अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ-साथ ओबीसी के साथ भी अन्याय होगा। इसलिए प्रदर्शनकारियों ने सरकारी निर्णय की होली खेलकर और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करके अपना रोष व्यक्त किया।