आदमखोर बाघ पर काबू पाने के लिए टीम तैनात
Gondpipri Forest Department News: मध्य चांदा वन विभाग के अंतर्गत गोंडपिपरी क्षेत्र के चेकपिपरी और गणेशपिपरी गांवों में बाघ के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। पिछले आठ दिनों में बाघों ने 20 से 25 पशुओं का शिकार किया है, जबकि दो किसानों की जान चली गई। 18 अक्टूबर को चेकपिपरी के भाऊजी पाल और 26 अक्टूबर को गणेशपिपरी की अलका पेंदोर नामक महिला को बाघ ने शिकार बनाया, जिससे दोनों की मौत हो गई।
इन घटनाओं से आक्रोशित ग्रामीणों ने वन एवं पुलिस प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने एकजुट होकर नौ घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम किया। इसके बाद वन विभाग ने आदमखोर बाघ पर नियंत्रण पाने के लिए विशेष टीम तैनात की है।
गोंडपिपरी तहसील में एक सप्ताह से बाघ का आतंक जारी है। आदमखोर बाघ T-115 को पकड़ने की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारी अविनाश फुले को सौंपी गई है।
बोरगांव निवासी और पूर्व सैनिक अविनाश झावरुजी फुलझेले पिछले 15 वर्षों से वन विभाग में कार्यरत हैं। वर्तमान में वे बल्लारशाह वन क्षेत्र के अति-तीव्र दल में तैनात हैं। इससे पहले वे आठ बाघों और एक तेंदुए को सफलतापूर्वक पकड़ने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
सोमवार को हुए चक्का जाम आंदोलन में ग्रामीणों के साथ-साथ व्यापारियों ने भी एकजुटता दिखाई। गोंडपिपरी शहर में बाजार पूरी तरह बंद रहे। आंदोलन के दौरान जिला पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुमक्का, मुख्य वन संरक्षक रामानुज, उप-विभागीय अधिकारी लघिमा तिवारी, तहसीलदार शुभम बहाकर और थानेदार रमेश हट्टीगोटे सुरक्षा व्यवस्था संभालते नजर आए।
ग्रामीणों ने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता, उत्तराधिकारियों को नौकरी, फसल क्षति का मुआवजा और 48 घंटे के भीतर बाघ को पकड़ने की मांग की। वन अधिकारियों द्वारा लिखित आश्वासन देने के बाद आंदोलन समाप्त किया गया।
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बाघ को पकड़ने के लिए शूटरों और उनके सहयोगियों की एक विशेष टीम को रवाना कर दिया गया है। यह अभियान वन क्षेत्र अधिकारी गजानन इंगले के नेतृत्व में युद्धस्तर पर चल रहा है। स्थानीय ग्रामीणों की मदद से कई गांवों में गश्त बढ़ा दी गई है।