भद्रावती नगर पालिका चुनाव: बदले समीकरणों में सियासी पारा चढ़ा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Chandrapur News: जैसे ही नगर पालिका चुनाव की तारीखों की घोषणा हुई, वैसे ही पूरे भद्रावती शहर में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सभी प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना अपने नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवारों और नगरसेवक प्रत्याशियों की तलाश में जुट गए हैं। इस बार का चुनावी माहौल पिछले वर्षों की तुलना में काफी अलग दिखाई दे रहा है।
शहर के हर कोने में यही चर्चा है कि किस पार्टी से कौन उम्मीदवार नगराध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरेगा और किसे टिकट मिलेगा। जनता की निगाहें भी इस पर टिकी हुई हैं कि इस बार भद्रावती की कमान किसके हाथों में जाएगी। कुछ दलों ने अपने उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है, जबकि कई दल अभी भी संभावित उम्मीदवारों की खोज में जुटे हुए हैं।इस बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो भागों में विभाजित होने के कारण यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों गुटों में से कौन नगराध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार घोषित करता है। इस पर भी भद्रावती की जनता की गहरी नजर है।
इतिहास पर नजर डालें तो भद्रावती नगर परिषद पर लंबे समय तक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का एकछत्र वर्चस्व रहा है। भाजपा और कांग्रेस को यहां कभी निर्णायक सफलता नहीं मिल पाई। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है।शिवसेना के विभाजन के बाद यह देखना होगा कि दोनों गुटों में से कौन नगर पालिका में अपना दबदबा कायम रख पाता है। विधानसभा चुनाव में शिवसेना (शिंदे गट) के उम्मीदवार ने भद्रावती में वर्चस्व कायम रखा था, इसलिए अब नगर पालिका में भी उनकी जीत को लेकर चर्चाएं तेज हैं।
भाजपा में कई पूर्व नगरसेवकों के शामिल होने से स्थानीय समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। वहीं, कांग्रेस इस बार नए चेहरों के सहारे अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में है।शहर में दल-बदल और नए गठबंधनों की चर्चाएं भी जोरों पर हैं। कुछ पूर्व नगरसेवक अपने पुराने दलों से नाराज़ होकर नई राजनीतिक पनाह ले रहे हैं, जबकि कई नए चेहरे पहली बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। जनता भी इस बार बदलाव के मूड में नजर आ रही है।
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कुल मिलाकर, भद्रावती नगर पालिका का यह चुनाव बेहद दिलचस्प और रोमांचक होने जा रहा है। सभी प्रमुख दल अपनी रणनीति, जातीय समीकरणों और वार्ड-स्तरीय योजनाओं पर गहन मंथन में जुटे हैं। अब देखना यह होगा कि मतदाता इस बार किसके पक्ष में अपना जनादेश देते हैं।