वन विभाग ने पकड़ी मादा तेंदुआ (सौजन्य-नवभारत)
Chandrapur News: सिंदेवाही वन परिक्षेत्र के अंतर्गत नवरगांव उपक्षेत्र के गडबोरी गांव में एक मासूम बच्चे पर हमला कर उसे मारने वाले नर तेंदुआ को पकड़ने के बाद, अब वन विभाग को एक और बड़ी सफलता मिली है। उस नर तेंदुए की जोड़ीदार मादा तेंदुआ को भी आखिरकार पिंजरे में कैद कर लिया गया है। वन विभाग की इस दोहरी कामयाबी से गडबोरी और आस-पास के ग्रामीणों ने चैन की सांस ली है।
18 सितंबर 2025 को गडबोरी के प्रशिल बबन मानकर(उम्र 7 वर्ष) पर तेंदुए ने हमला कर दिया था। गणेशोत्सव का महाप्रसाद लेकर घर लौटे प्रशिल पर आंगन में ही तेंदुए ने हमला किया और उसे खींचकर पहाड़ी इलाके में ले गया, जिससे उसकी दुखद मौत हो गई। इस हृदय विदारक घटना के बाद पूरे गडबोरी गांव में दहशत फैल गई थी।
गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया व कुछ प्रमुख मांगें पूरी करने का आश्वासन मिलने के बाद ही बच्चे का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने तत्काल तेंदुए को पकड़ने का अभियान शुरू किया। इस घटना के ठीक तीन दिन बाद, 21 सितंबर 2025 को, हमला करने वाले नर तेंदुआ को पकड़ा गया और उसे आगे की कार्रवाई के लिए सुरक्षित रूप से टीसीसी चंद्रपुर भेज दिया गया।
नर तेंदुआ पकड़े जाने के बाद भी इलाके में पालतू जानवरों पर हमले जारी थे। इससे ग्रामीणों को संदेह हुआ कि क्षेत्र में एक से अधिक तेंदुआ मौजूद हैं। वन विभाग ने अनुमान लगाया कि नर तेंदुए की जोड़ीदार मादा तेंदुआ इसी इलाके में हो सकती है और इसलिए उसने अपना अभियान और तेज कर दिया। इसके लिए विभिन्न स्थानों पर पिंजरे, ट्रैप कैमरे और लाइव निगरानी के लिए कैमरे लगाए गए।
आखिरकार, 2 अक्टूबर 2025 की सुबह को गडबोरी गांव से सटे कोल्हासूर किला के पास एक प्राकृतिक गुफा में लगभग चार साल की मादा तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गई। मादा तेंदुआ के पकड़े जाने की खबर मिलते ही टीएटीआर चंद्रपुर की विशेष टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। डॉ. रविकांत खोब्रागडे (पशुचिकित्सक, वन्यजीव) और शूटर अजय मराठे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मादा तेंदुए को बेहोश किया।
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इसके बाद उसे सुरक्षित रूप से पिंजरे में बंद कर चंद्रपुर भेज दिया गया। वन विभाग की टीम में डॉ. कुमार स्वामी (उप वन संरक्षक, ब्रह्मपुरी), डॉ. एम बी गायकवाड (सहायक वन संरक्षक, तेंदू), और अरविंद जे (सहायक वन संरक्षक, प्रादेशिक एवं वन्यजीव) के मार्गदर्शन में, तथा अंजली सायंकाळ (वन परिक्षेत्र अधिकारी, सिंदेवाही) के नेतृत्व में यह सफल अभियान पूरा किया गया।