विदर्भ में बारिश से 28,000 हेक्टेयर की फसलें बर्बाद (सौजन्यः सोशल मीडिया)
चंद्रपुर/ वर्धा: विदर्भ में 8 से 10 जुलाई के बीच हुई बारिश से लगभग 28,272 हेक्टेयर ज़मीन पर लगी फ़सलों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने इस संबंध में एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की है और इसे मुआवज़े के लिए सरकार को भेजा जाएगा। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार, अमरावती संभाग के पांच जिलों अकोला, वाशिम, बुलढाणा, अरावती, यवतमाल में से यवतमाल और अमरावती जिलों में नुकसान की सूचना मिली है।
इनमें से यवतमाल जिले के रालेगांव, बाभुलगांव, पांढरकवाड़ा, वाणी, मारेगांव, झरी-जामनी तालुका सबसे अधिक प्रभावित हुए। इन 6 तालुकाओं के 63 गांवों में बारिश के पानी से नुकसान की खबरें हैं। अमरावती जिले का केवल एक तालुका, धामनगांव रेलवे, बारिश से प्रभावित हुआ है। इस तालुका के 28 गांव प्रभावित हैं और कपास, सोयाबीन और अरहर जैसी फसलों को नुकसान की खबरें हैं। नागपुर संभाग के 6 जिले भी बारिश से प्रभावित हुए हैं।
वर्धा जिले में वर्धा, सेलू, देवली, आर्वी, आष्टी, कारंजा, हिंगनघाट तालुका प्रभावित हुए। वर्धा जिले में 3596 किसान प्रभावित हैं। नागपुर में, कामठी, हिंगना, सावनेर, काटोल, कलमेश्वर, नरखेड, रामटेक, परशिनी, मौदा, उमरेड, भिवापुर, कुही तालुका में 9011 किसानों ने फसल के नुकसान की सूचना दी है। भंडारा जिले में भंडारा, मोहदी, तुमसर, पवनी, साकोली, लाखनी, लाखांदूर तालुका में 10,902 किसान बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए।
गोंदिया में केवल सड़क अर्जुनी तालुका में बारिश के कारण नुकसान होने की खबर है। चंद्रपुर में, मूल, सावली, ब्रह्मपुरी और पोंभुर्णा तालुकाओं के 7781 किसानों की धान, कपास, सोयाबीन और अरहर की फसलें नष्ट होने की सूचना मिली है। गड़चिरोली जिले में, गड़चिरोली , धनोरा, चामोर्शी, मुलचेरा, देसाईगंज, आरमोरी, करखेड़ा और कोरची अहेरी तालुकाओं के 5337 किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं। अब मुआवज़े का इंतज़ार है।
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पिछले हफ़्ते चंद्रपुर ज़िले में भारी बारिश हुई थी। गोसेखुर्द बांध के 32 गेट खोल दिए गए थे। इससे ब्रह्मपुरी, नागभीड़ और कुछ अन्य इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। कृषि विभाग का अनुमान है कि धान और अन्य फसलों समेत छह हज़ार हेक्टेयर से ज़्यादा की फ़सलें प्रभावित हुई हैं।
मौसम विभाग ने इस साल शुरुआत से ही अच्छी बारिश का अनुमान जताया था। लेकिन जून महीने में जिले में पर्याप्त बारिश नहीं हुई। कुछ जगहों पर हुई थोड़ी-बहुत बारिश के भरोसे किसानों ने बुवाई पूरी कर ली। लेकिन उसके बाद बारिश कम हो गई। इससे दोबारा बुवाई का संकट पैदा हो गया।