महायुति सरकार, ठाकरे ब्रदर्स (pic credit; social media)
BMC Elections: मुंबई में महानगरपालिका चुनाव अब सिर पर हैं। इसके लिए सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी दल उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी पूरी जोर आजमाइश कर रही हैं। उद्धव और राज ठाकरे अब साथ आ चुके हैं और विपक्ष मजबूत होता दिख रहा है। इस बीच महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों से बड़ी खबर सामने आई है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की मजबूती को रोकने के लिए महायुति ने बड़ी योजना तैयार की है।
महायुति के तीनों दल प्रमुख ने BMC पर सत्ता काबिज करने के लिए मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। ताकि महायुति के वोटों के बंटवारे का फायदा ठाकरे बंधुओं को न मिले। इसलिए, एकनाथ शिंदे गुट, अजित पवार गुट और बीजेपी मुंबई में हाथ मिलाएंगे। ठाकरे बंधुओ की बड़ती लोकप्रिया को रोकने के लिए भाजपा ने ये प्लान बनाया है। इसे ‘नो रिस्क’ नीति नाम दिया गया है।
अगर गठबंधन में शामिल तीनों दल मुंबई समेत प्रमुख नगर निगमों में अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो इससे ठाकरे बंधुओं को फायदा हो सकता है। इससे मनसे और ठाकरे गुट के ज्यादा नगरसेवक चुनकर आ सकते हैं। इसी के चलते गठबंधन ने ‘नो रिस्क’ नीति अपनाई है। इस नीति के तहत, चुनाव की ज़िम्मेदारी गठबंधन के उन नेताओं को दी जाएगी जिन्हें मुंबई की जानकारी है। गठबंधन अगले एक महीने में हर वार्ड के विवादों को सुलझाकर चुनाव की तैयारी शुरू कर देगा।
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महायुति पिछले कई साल से मुंबई महानगरपालिका की सत्ता पर काबिज ठाकरे के प्रबंधन की ‘पोल खोलने’ की योजना बना रही है। साथ ही, मुंबई के हर वार्ड की ज़िम्मेदारी महायुति विधायकों को सौंपी जाएगी। ये विधायक और उनके कार्यकर्ता त्योहारों के मौसम में महायुति के काम की जानकारी आम जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
कोंकणी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए, महायुति नेता गणेशोत्सव के दौरान मुफ्त रेलगाड़ियां और एसटी बसें चलाएंगे। यह भी बताया जा रहा है कि गोविंदा दस्ते और सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल को महायुति से जोड़ने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में बीजेपी विधायकों की बैठक हुई थी। इस बैठक में सीएम फडणवीस ने बीजेपी विधायकों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में पांच महत्वपूर्ण कार्यों की सूची देने का निर्देश दिया था। विधायकों को आश्वासन भी दिया था कि सरकार इन कार्यों को शीघ्रता से पूरा करेगी, जिससे स्थानीय निकाय चुनावों में लाभ होगा।
ऐसे में माना जा रहा है कि इस बैठक में बीजेपी विधायकों ने यह विचार व्यक्त किया कि राज और उद्धव ठाकरे के साथ आने से ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर उद्धव और राज ठाकरे मुंबई महानगरपालिका चुनाव में साथ आते हैं, तो वोट प्रतिशत में फर्क जरूर पड़ेगा, लेकिन मराठी-अमराठी वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा बीजेपी को भी मिल सकता है।