भंडारा जिले में महामोर्चा की तैयारी तेज (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: आगामी 10 अक्टूबर को सकल ओबीसी समाज का विशाल मोर्चा आयोजित किया जा रहा है। इस महामोर्चे की तैयारी जिलेभर में जोरों पर चल रही है। इसी कड़ी में लक्ष्मीनगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और केसलबाड़ा क्षेत्र में जागरूकता सभा का आयोजन किया गया। सभा में वक्ताओं ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने 2 सितंबर को जारी किए गए शासनादेश से ओबीसी आरक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है। इस निर्णय के चलते ओबीसी व एनटी प्रवर्ग के लोग निराश हैं।
जनप्रतिनिधियों से उम्मीद थी कि वे विधानसभा में ओबीसी समाज का पक्ष मजबूत करेंगे और शासनादेश रद्द कराएंगे, लेकिन ऐसा होते न देख अब समाज के लोग स्वयं सड़क पर उतरने के लिए तैयार हैं।सभा के दौरान ओबीसी समाज में एकजुटता और संघर्ष की भावना जगाने का प्रयास किया गया। महिलाओं और युवाओं में विशेष उत्साह देखने को मिला। युवाओं ने सवाल उठाया कि मराठा समाज को पहले से ही ईडब्ल्यूएस, एसीबी और खुला ऐसे तीन प्रकार के आरक्षण का लाभ मिलता है, तो ओबीसी आरक्षण उन्हें क्यों दिया जा रहा है?
यदि मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र देकर ओबीसी प्रवर्ग में शामिल किया गया, तो पहले से ही सीमित 17% आरक्षण और बंट जाएगा, जिससे ओबीसी-एनटी वर्ग के युवाओं को कुछ भी हाथ नहीं आएगा। इसी कारण समाज में असंतोष और बेचैनी बढ़ रही है। अब तक इस विषय पर जिले में चार आत्महत्याएँ हो चुकी हैं, जिसे समाज की गहरी विवशता का परिणाम बताया जा रहा है। वक्ताओं ने शासन से मांग की है कि समाज के हित को ध्यान में रखते हुए यह आदेश तत्काल वापस लिया जाए।
ये भी पढ़े: कैसे होगा राजस्व विभाग के काम? भंडारा पटवारी के पद खाली, किसान हो रहे परेशान
इस बैठक में ओबीसी सेवा संघ की महिला अध्यक्ष ललिता देशमुख ने मार्गदर्शन किया। कोषाध्यक्ष लता बोरकर, सुनिता गडपायले और माधुरी निंबार्ते ने भी विचार रखे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएँ उपस्थित थीं, जिनमें प्रमुख रूप से वैशाली मोहनकर, शीला बुरडे, शोभा देवेकर, मीना गायधने, प्रतिमा बडवाईक, शालू मदारकर, कल्पना रोकडे, सीमा शेंडे, संगिता सूर्यवंशी, मनोरमा मारोडे, ज्योति आस्वले, माधुरी भेंडारकर, उषा भेंडारकर, अर्चना गुरवे, नंदा भोंगाडे, सुरेखा लांजेवार, शारदा सार्वे, पुष्पा भुजाडे, अश्विनी पवनकर, यशोदा मडकाम, पूजा हजारे, निशा बनकर, संध्या कुंभलकर, प्रियंका सेलोकर, ममता नागरीकर सहित अनेक महिलाएँ शामिल थीं। सभा के अंत में तय किया गया कि 10 अक्टूबर को होने वाले मोर्चे में जिलेभर से ओबीसी समाज के लोग एकजुट होकर शक्ति प्रदर्शन करेंगे और सरकार से अपनी मांगें पुरजोर ढंग से रखेंगे।