लाखांदुर तहसील मार्ग पर गड्ढों का साम्राज्य (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara administration: लाखांदुर तहसील के बारव्हा से बाजार चौक तक महज आधे किलोमीटर का डांबरीकरण मार्ग आज मौत का जाल बन चुका है। सड़क नाम की चीज यहां बची ही नहीं है। पूरा मार्ग उखड़ चुका है और जगह-जगह ऐसे गहरे गड्ढे बने हैं। वाहनों का संतुलन बिगड़ना, पैदल यात्रियों का गिरना और मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस का बीच रास्ते पर फंसना अब आम बात हो गई है। प्रश्न यह उठता है कि आखिर शासन और प्रशासन आंखें मूंदकर क्यों बैठा है? क्या वे किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं?
सरकार की गाव वहा रास्ता योजना का ढोल पीटा गया, लेकिन हकीकत में ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत ने इस सड़क की हालत खराब हो गई है। घटिया दर्जे का कार्य किया गया और जनता को गड्ढों में धकेल दिया गया। दो वर्ष से यह मार्ग पूरी तरह से उखड़ा पड़ा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक मरीजों को ले जाने में जहां हर पल जान जोखिम में पड़ती है, वहीं विद्यार्थियों और नागरिकों की रोजमर्रा की आवाजाही भी संकटमय हो गई है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि पिछले वर्ष ग्राम पंचायत ने यहां मात्र 500 मीटर का सीमेंट रोड बनवाया, वह भी बीच से शुरू करके बीच में ही खत्म कर दिया।
न कोई सूचना फलक, न निधि की पारदर्शिता, और दोनों ओर आज भी कीचड़ और गड्ढों का साम्राज्य। बरसात में हालात और भी खतरनाक हो जाते हैं। पानी से लबालब भरे गड्ढों में दुर्घटनाएं होना आम हो गया है। कई वाहन चालक पहले ही फिसलकर घायल हो चुके हैं, लेकिन फिर भी संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि मौन साधे बैठे हैं। कहा जा रहा है कि मरम्मत का काम मंजूर हो चुका है, मगर वास्तविकता यह है कि सड़क पर एक गिट्टी तक नहीं डाली गई। उलटे, गांव में ऐसे-ऐसे कामों को मंजूरी दी जा रही है जिनकी कोई आवश्यकता ही नहीं है।
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नागरिकों का गुस्सा अब सातवें आसमान पर है। लोग पूछ रहे हैं-क्या हमारी जान इतनी सस्ती है कि हमें रोज़ इन गड्ढों में मरने के लिए छोड़ दिया जाए? मुख्य मार्ग की मरम्मत करना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन इस ओर घोर अनदेखी की जा रही है। स्थानीय जनता ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द इस मार्ग की मरम्मत शुरू नहीं की गई तो वे सड़क पर उतरकर जोरदार आंदोलन करेंगे। अब जनता का सब्र टूट चुका है। प्रशासन को समझ लेना चाहिए कि यह सिर्फ सड़क की मरम्मत का सवाल नहीं, बल्कि हजारों जिंदगियों की सुरक्षा का प्रश्न है।