
भंडारा न्यूज
Maharashtra Education Employees Movement: भंडारा में महाराष्ट्र राज्य समग्र शिक्षा योजना के ठेका कर्मचारियों ने लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर 8 दिसंबर से नागपुर में आयोजित होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन और अन्नत्याग आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
समग्र शिक्षा संघर्ष समिति (राज्य कृति समिति, पुणे) ने विधायकों को पत्र लिखकर मांग की है कि इन कर्मचारियों को शासन सेवाओं में समायोजित कर स्थायी किया जाए, अन्यथा उन्हें स्वेच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। यह मांग अत्यंत गंभीर और चिंताजनक मानी जा रही है। समग्र शिक्षा करार कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले यह आंदोलन शुरू किया जाएगा।
पिछले 20 वर्षों से न्यूनतम मानधन पर ठेका के आधार पर काम कर रहे ये कर्मचारी दो प्रमुख मांगों को लेकर उग्र आंदोलन करने जा रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सभी कर्मचारियों को शासन सेवाओं में समायोजित कर स्थायी किया जाए। यदि स्थायी नहीं किया जाता तो स्वेच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।
आंदोलन के तहत कर्मचारी अन्नत्याग, शंखनाद, थाली-नाद, घंटानाद, ताल-नाद, आक्रोश प्रदर्शन, भीख मांगने का आंदोलन, मूक रैली और आत्मक्लेश जैसे चरणबद्ध कार्यक्रमों में शामिल होंगे। समिति ने चेतावनी दी है कि आंदोलन शुरू होने के छठे दिन से कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों—बच्चों और शिशुओं सहित आंदोलन में शामिल करेंगे।
समिति की ओर से भेजे गए पत्र में कर्मचारियों की गंभीर समस्याओं और नैराश्य के कारणों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। जिसमें 20 वर्षों की सेवा के बाद भी कर्मचारियों की किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया। कई कर्मचारियों की सेवा अवधि केवल 3 से 6 महीने तक सीमित रखी गई। पिछले 4 वर्षों में 50% कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, जिससे उनके परिवारों पर स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक संकट गहराता गया।
इसी योजना के लगभग आधे कर्मचारियों को 8 अक्टूबर 2024 के शासन निर्णय के तहत स्थायी किया गया, जबकि बाकी कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया। पंजाब, मणिपुर और सिक्किम जैसे राज्यों में समग्र शिक्षा के ठेका कर्मचारियों को स्थायी किया गया है। असम, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उन्हें वेतन आयोग के अनुसार पगार और नियमित कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। लेकिन महाराष्ट्र में ऐसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
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पिछले 8 वर्षों में मानधन में कोई वृद्धि नहीं हुई। मानधन के अलावा किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलता। सेवा के दौरान 257 कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके परिवारों को किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिली। 58 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद कर्मचारियों को किसी प्रकार का आर्थिक लाभ, पेंशन या सुरक्षा नहीं मिलती।
बैंक भी कंत्राटी कर्मचारियों को ऋण देने से मना कर देती हैं, जिससे बच्चों की उच्च शिक्षा, इलाज और पारिवारिक जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी स्थिति और मांगों पर सरकार ने तुरंत ध्यान नहीं दिया, तो मजबूरन वे कड़ा कदम उठाने को बाध्य होंगे।






