मोदक व चावल (सोर्स: सोशल मीडिया)
Inflation In Bhandara: गणेशोत्सव का पर्व शुरू होते ही हर घर में गणपति बप्पा के प्रिय प्रसाद, मोदक की तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार बढ़ती महंगाई ने भक्तों की जेब पर भारी बोझ डाला है। मोदक बनाने के लिए सबसे खास माना जाने वाला आंबेमोहर चावल इस साल आसमान छूती कीमतों पर पहुंच गया है, जिससे मोदक की मिठास कुछ कम हो गई है।
भंडारा, नागपुर और पूरे विदर्भ के बाजारों में आंबेमोहर चावल की कीमत ₹200 प्रति किलो तक पहुंच गई है, जबकि थोक में भी इसके दाम ₹170 से ₹180 प्रति किलो हैं। चावल व्यापारियों का कहना है कि दिसंबर के अंत तक नई फसल आने तक इन कीमतों में कमी आने की संभावना बहुत कम है।
सिर्फ आंबेमोहर ही नहीं, बल्कि जय श्रीराम, चिन्नोर, कालीमूंछ, जयप्रकाश, बीपीटी और सुवर्णा जैसी अन्य सुगंधित और सामान्य चावल की किस्मों के दाम भी पिछले डेढ़-दो महीनों में ₹5 से ₹6 प्रति किलो तक बढ़ गए हैं।
चावल के साथ-साथ, गेहूं की कीमतों में भी 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे आम आदमी का रसोई बजट बुरी तरह बिगड़ गया है। मोदक बनाने की परंपरा में आंबेमोहर चावल का इस्तेमाल उसकी अनोखी सुगंध और स्वाद के कारण होता है।
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ही वजह है कि त्योहार के समय इसकी मांग कई गुना बढ़ जाती है। पिछले साल, आंबेमोहर चावल की कीमत ₹60 से ₹70 प्रति किलो थी, लेकिन इस साल यह लगभग तीन गुना बढ़ गई है।
कीमतों में इस भारी बढ़ोतरी का मुख्य कारण उत्पादन में कमी है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस वर्ष मानसून की अनिश्चितता और खेती में आई बाधाओं ने फसल को प्रभावित किया है। इसके अलावा, घरेलू खपत और निर्यात दोनों जारी रहने से बाजार में इसकी आपूर्ति कम हो गई है।
हालांकि, बढ़ती कीमतों के बावजूद, भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ है। लोगों का मानना है कि बप्पा के स्वागत में मोदक चढ़ाना जरूरी है, फिर चाहे इसकी कितनी भी कीमत चुकानी पड़े। इस बार महंगाई पर भक्ति भारी पड़ती दिख रही है। लोग भले ही चिंता में हों, लेकिन बप्पा का प्रिय मोदक हर घर में बन रहा है, जिससे भक्ति और महंगाई का यह संगम इस गणेशोत्सव को एक अलग ही रंग दे रहा है।