प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Decline HIV-AIDS Cases In Bhandara: एचआईवी-एड्स एक समय में असाध्य और जानलेवा बीमारी के रूप में पहचाना जाता था, परंतु अब स्वास्थ्य विभाग, जिला एड्स प्रतिबंध व नियंत्रण कक्ष, स्वयंसेवी संस्थाएं और एकात्मिक उपचार पद्धति (एआरटी) के प्रयासों से इस रोग की तीव्रता कम हुई है।
जागरूकता, नियमित इलाज और काउंसलिंग की मदद से भंडारा जिले में हजारों मरीजों को नया जीवन मिला है। फिर भी इस संक्रमण की पूरी तरह से रोकथाम अभी तक संभव नहीं हो पाई है। इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के दौरान 52 मरीज सामने आए है। लेकिन भविष्य में नई दवाईयां इजाद होने के संकेत मिले है।
वर्तमान में 2,846 संक्रमित व्यक्ति नियमित रूप से एआरटी उपचार ले रहे हैं। इनमें भंडारा-822, साकोली-426, लाखनी-430, तुमसर-277, पवनी-254, मोहाडी-177, लाखांदुर-138 और अन्य जिलों के 312 रोगी शामिल हैं। जिले में अब तक लाखों लोगों की एचआईवी की जांच की गई है। 2017-18 में 36,561 लोगों की जांच की गई। इस समय 200 लोग संक्रमित पाए गए।
2018-19 में 37,252 लोगों की जांच में से 182, 2019-20 में 54,071 में से 149, 2020-21 में 41,120 में से 80, 2021-22 में 46,699 में से 87, 2022-23 में 53,119 में से 116, 2023-24 में 43,440 में से 107 और 2024-25 में 48,563 में से 84 मरीज संक्रमित मिले। वहीं, अप्रैल से अगस्त 2025 तक 19,477 जांचों में केवल 52 संक्रमित पाए गए। यह आंकड़ा बताता है कि संक्रमण का प्रतिशत लगातार घट रहा है।
भंडारा जिले में जिला अस्पताल के साथ साकोली, तुमसर, लाखनी, पवनी और लाखांदुर के उपजिला एवं ग्रामीण अस्पतालों में लिंक एआरटी केंद्र कार्यरत हैं। यहां रोगियों को नि:शुल्क दवाइयां दी जाती हैं। जनजागरण अभियानों और स्वास्थ्य विभाग की सक्रिय भूमिका के चलते एचआईवी संक्रमण का प्रसार नियंत्रित हो रहा है।
वर्ष 2002 में जब जिले में 626 लोगों की जांच हुई थी, तब 136 लोग (21.73%) संक्रमित पाए गए थे, जबकि 2025 में अप्रैल से अगस्त तक किए गए परीक्षणों में केवल 0.26% मरीज संक्रमित मिले। यह सकारात्मक बदलाव नागरिकों में बढ़ती जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता का परिणाम है।
यह भी भी पढ़ें:- ‘मैंने आज तक किसी ठेकेदार से पैसा…’, गडकरी बोले- एथेनॉल से नाराज लॉबी ने चलाया आरोपों का खेल
जिले में कुल 60 केंद्रों पर एचआईवी की जांच की सुविधा उपलब्ध है। इनमें 7 आईसीटीसी, 33 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 4 ग्रामीण अस्पताल, 13 प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप केंद्र, 1 जिला कारागार, 1 नागरी प्रसूति केंद्र और 1 वन स्टॉप सेंटर शामिल हैं। यहां नि:शुल्क जांच की जाती है।
वर्तमान में एआरटी उपचार पर चल रहे 2,846 रोगियों में 1,258 पुरुष, 1,322 महिलाएं, 140 बालिकाएं और 126 बालक शामिल हैं। एआरटी उपचार से रोगियों की श्वेत रक्त कोशिकाएं बढ़ती हैं, जिससे प्रतिकारक शक्ति मजबूत होती है। यह उपचार अवसरवादी संक्रमणों को रोककर रोगियों को लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने में सहायक बनता है।