भंडारा में अनशन पर स्वास्थ्यकर्मी (सौजन्य-नवभारत)
Bhandara News: भंडारा जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के अंतर्गत कार्यरत संविदा अधिकारी और कर्मचारी अपनी मांगें पूरी न होने के कारण मंगलवार, 19 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। पिछले आठ दिनों से जिले के लगभग छह सौ से अधिक कर्मचारी और अधिकारी इस हड़ताल में शामिल हैं। इस बीच बरसात का मौसम और संक्रामक रोगों का प्रकोप बढ़ रहा है, ऐसे समय में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने 14 मार्च 2024 को दस वर्ष की सेवा पूरी करने वाले संविदा कर्मचारी और अधिकारियों को नियमित सेवा में शामिल करने का निर्णय लिया था। किंतु लंबे समय बीत जाने के बाद भी इस निर्णय पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से कर्मचारियों में आक्रोश है। इसी पृष्ठभूमि पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान संविदा अधिकारी-कर्मचारी एकीकरण समिति और एकता संघ, महाराष्ट्र राज्य के नेतृत्व में राज्यभर के कर्मचारी आंदोलन में शामिल हुए हैं।
जुलाई माह में मुंबई के आज़ाद मैदान पर दो दिवसीय आंदोलन किया गया था। उस समय सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री ने सभी विभागीय सचिवों के साथ बैठक लेकर मांगों पर निर्णय लेने का लिखित आश्वासन दिया था। इसी कारण 21 जुलाई से प्रस्तावित कार्यबंदी आंदोलन स्थगित किया गया था। मगर 15 जुलाई की बैठक के बाद भी सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने के चलते अंततः 19 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया।
हड़ताल के कारण जिला सामान्य अस्पताल, उपजिला अस्पताल, ग्रामीण अस्पताल तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सभी सामान्य सेवाएं बंद पड़ी हैं। जिला सामान्य अस्पताल का एसएनसीयू और डायलिसिस यूनिट पूरी तरह बंद है, जिससे गंभीर रोगियों की सेवाएं प्रभावित हुई हैं। टीकाकरण, मातृत्व और बाल स्वास्थ्य, असंक्रामक रोग जांच, दवां उपचार, क्षेत्रीय स्वास्थ्य जांच जैसी सभी योजनाएं ठप हो गई हैं। ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्र भी ताले लगाकर बंद रखे गए हैं।
बरसात के दिनों में डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड जैसे संक्रामक रोग तेजी से फैलते हैं। ऐसे समय में हड़ताल शुरू होने से मरीजों को आवश्यक उपचार नहीं मिल पा रहा है। असंक्रामक रोगों की जांच और दवाओं का वितरण बंद होने से मरीज परेशान हैं। गर्भवती महिलाओं की जांच और बच्चों का टीकाकरण रुक जाने से स्वास्थ्य संबंधी खतरे और अधिक बढ़ गए हैं।
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इस आंदोलन में डॉ. सचिन लहाने, डॉ. आशीष माटे, डॉ. सुशीला गजभिये, डॉ. श्रीकांत आंबेकर, डॉ. भास्कर खेडीकर, डॉ. राजेंद्र सोनवणे, जितेंद्र अंबादे, निलेश गिरी, कोमल भाजीपाले, शिवशंकर शेंडे, रविंद्र झोडे, विकास गभणे, भूपेंद्र ब्राम्हणकर, रंजिता कोल्हटकर, मुकेश भेदे, विशाखा जांभुळकर, कामिनी गेडाम समेत लगभग 600 अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारियों की मांग है कि सरकार तुरंत उनकी समस्याओं पर विचार कर ठोस निर्णय ले।