अस्पतालों के ओपीडी बंद (फोटो नवभारत)
Doctors Strike IN Bhandara News: भंडारा जिले में महाराष्ट्र सरकार के एक विवादित फैसले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने गुरुवार को एक बड़ा आंदोलन शुरू किया, जिसके चलते भंडारा जिले के करीब 175 अस्पतालों की ओपीडी पूरी तरह ठप रही। सरकार के 5 सितंबर के आदेश के खिलाफ डॉक्टरों के इस गुस्से ने पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमरा दिया।
सुबह से ही अस्पतालों में इलाज के लिए आए हजारों मरीजों को बिना इलाज और जांच के खाली हाथ लौटना पड़ा। इस हड़ताल ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के मरीजों को भारी परेशानी में डाल दिया, जिससे सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
यह पूरा विवाद महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) में होम्योपैथी डॉक्टरों का पंजीकरण करके उन्हें एलोपैथी प्रैक्टिस करने की अनुमति देने वाले सरकारी आदेश से शुरू हुआ। आईएमए का स्पष्ट मानना है कि यह फैसला न केवल गैरकानूनी है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा के साथ एक बड़ा खिलवाड़ है। डॉक्टरों ने मांग की है कि जब तक उच्च न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता, तब तक होम्योपैथी डॉक्टरों का एमएमसी में पंजीकरण तुरंत रोका जाए।
हड़ताल में भंडारा के कार्डियोलॉजिस्ट, गायनेकोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिक और जनरल फिजिशियन समेत सभी विशेषज्ञ शामिल रहे। इस विरोध प्रदर्शन के कारण ग्रामीण इलाकों से आए गरीब मरीजों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें न केवल इलाज नहीं मिला, बल्कि उनका पैसा और समय भी बर्बाद हुआ।
डॉक्टरों ने साफ किया है कि उनका यह संघर्ष होम्योपैथी डॉक्टरों के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकार की उस खतरनाक नीति के खिलाफ है जो चिकित्सा शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही है। उनका तर्क है कि होम्योपैथी का अपना अलग काउंसिल है, तो फिर उन्हें एलोपैथी काउंसिल में क्यों पंजीकृत किया जा रहा है?
डॉक्टरों ने सरकार को दो-टूक चेतावनी दी है कि मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आईएमए के मुताबिक, सिर्फ एक साल की फार्माकोलॉजी पढ़कर कोई होम्योपैथ एलोपैथिक इलाज कैसे कर सकता है? यह मेडिकल शिक्षा और जनता की जान पर सीधा हमला है।
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डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने एमबीबीएस से लेकर एमडी, एमएस और डीएम तक की डिग्री हासिल करने के लिए सालों की कड़ी मेहनत और पसीना बहाया है। ऐसे में सरकार का यह फैसला न केवल गैरकानूनी है, बल्कि घातक भी है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह आदेश लागू हुआ, तो भविष्य में गलत दवा और गलत इलाज के कारण हजारों जानें खतरे में पड़ जाएंगी।
आईएमए भंडारा के अध्यक्ष, डॉ. यशवंत लांजेवार ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि “सरकार तुरंत इस आदेश को वापस ले, वरना आंदोलन और भी उग्र होगा। अगर मरीजों की जान से खिलवाड़ हुआ, तो इसकी सीधी जिम्मेदारी सरकार पर होगी।”