प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
सरकारी दफ्तरों को हमेशा अनुशासन और नियमों का उदाहरण माना जाता है, लेकिन भंडारा जिले के पवनी तहसील कार्यालय ने एक अलग ही मिसाल पेश कर दी है। तहसील कार्यालय का बिजली बिल पिछले एक साल से बकाया पड़ा हुआ है और अब यह राशि लगभग दो लाख रुपये तक पहुंच चुकी है। हैरानी की बात यह है कि बिल भरने में अनदेखी किए जाने के बावजूद कार्यालय की बिजली आपूर्ति बिना किसी रुकावट के जारी है।
स्थानीय नागरिकों का सवाल है कि आम उपभोक्ता का बकाया बिल चुकाने में ज़रा-सी भी देर होते ही बिजली वितरण कंपनी तुरंत कनेक्शन काट देती है, तो फिर तहसील कार्यालय को इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है?
विद्युत वितरण कंपनी हर महीने तहसील कार्यालय को बकाया राशि चुकाने के लिए नोटिस भेजती रहती है। मगर इन नोटिसों का कोई असर दिखाई नहीं देता।
कार्रवाई केवल सरकारी कागज़ों पर सीमटकर रह गई है, जिससे महावितरण कंपनी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। तहसील कार्यालय के पुराने भवन का करीब डेढ़ लाख रुपये बिजली बिल बकाया है, जबकि वर्तमान में नगर परिषद भवन में चल रहे लीज़धारी कार्यालय पर लगभग पचास हज़ार रुपये का बिल बकाया है। दोनों बिल मिलाकर यह राशि लगभग दो लाख रुपये तक पहुंच चुकी है।
आम नागरिक, किसान और छोटे व्यापारी यदि दो महीने तक बिल नहीं भरते तो उनकी बिजली तुरंत काट दी जाती है। वहीं सरकारी दफ्तर महीनों तक बिल न भरने के बावजूद विशेष रियायत पाते नज़र आ रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि यह दोहरा मापदंड अन्यायपूर्ण और अस्वीकार्य है।
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लोगों का मानना है कि जब सरकार ही नियमों को तोड़ेगी तो आम जनता से अनुशासन की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। नागरिकों की जोदार मांग है कि विद्युत वितरण कंपनी को अब तुरंत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और बिल की वसूली करनी चाहिए।
पवनी के उप कार्यपालन अभियंता राजन लिमजे ने कहा कि हम सभी उपभोक्ताओं से लगातार अपील कर रहे हैं कि वे नियमित रूप से अपने बिजली बिलों का भुगतान करें। तहसील कार्यालय प्रशासन को भी बकाया बिजली बिल तुरंत चुकाने के आधिकारिक निर्देश भेज दिए गए हैं।