प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Health Department Child Maternal Death Report: गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित रखना प्राथमिकता माना जाता है। इसके लिए शासन स्तर पर विभिन्न स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जा रही हैं। गर्भधारण से लेकर प्रसूति और प्रसूति के बाद तक नियमित जांच, औषधि उपचार और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाता है। बावजूद इसके शिशुओं के मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे हैं।
भंडारा जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 में अप्रैल से जुलाई इन चार महीनों की अवधि में जिले में कुल 38 बाल मृत्यु दर्ज की गई हैं। इस दौरान मातृ मृत्यु की संख्या 2 रही, जबकि प्रसूति के दौरान जीवित जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या 3,868 थी। बाल मृत्यु में 0 से 1 वर्ष आयु वर्ग के शिशुओं की मृत्यु संख्या 33 है, जबकि 3 से 5 वर्ष आयु वर्ग में 5 बाल मृत्यु हुई हैं।
भंडारा जिले में 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 1 शहरी स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से गर्भवती महिला, स्तनपान कराने वाली माताएं और 6 वर्ष तक के बच्चों की महिला स्वास्थ्य अधिकारी और बाल रोग विशेषज्ञों की ओर से जांच की जाती है। जिले के मानव विकास सूचकांक को बढ़ाने के लिए मानव विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस योजना में भंडारा और पवनी तहसील को छोड़कर अन्य 4 तहसीलों को शामिल किया गया है।
योजना के अंतर्गत गर्भवती और नवजात शिशुओं की देखभाल, संस्थागत प्रसूति में वृद्धि, गंभीर बीमारियों का समय पर निदान, शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी तथा कुपोषित बच्चों की संख्या घटाना मुख्य उद्देश्य रखा गया है। अतिजोखिम वाली प्रसूतियों में खतरा अधिक होता है।
33 वर्ष की उम्र के बाद गर्भधारण करने वाली महिलाओं को यदि ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, थायरॉयड, हृदय रोग जैसी बीमारियां हो तो ऐसी महिलाएं उच्च जोखिमग्रस्त मानी जाती हैं। इनकी प्रसूति के दौरान विशेष देखभाल जरूरी होती है। रक्ताल्पता और अन्य जटिलताओं के समय खतरा और बढ़ जाता है। जिले में मातृ मृत्यु की 2 घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
नियमित जांच, संस्थागत प्रसूति सेवा, स्तनपान और पूरक आहार मार्गदर्शन, तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत की जाने वाली जांचें मातृ व शिशु मृत्यु दर कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। केंद्र सरकार की जननी सुरक्षा योजना और मातृ वंदना योजना के माध्यम से सुरक्षित प्रसूति को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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इन योजनाओं के तहत संस्थागत प्रसूति में वृद्धि, माता व बच्चों में कुपोषण कम करना, और स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से आवश्यक औषधि उपचार उपलब्ध कराना जैसी पहलें की जा रही हैं।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी और जिला परिषद की ओर से योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं, कम वजन वाले शिशुओं और 6 वर्ष तक के बच्चों की जांच की जाती है। इन योजनाओं का उद्देश्य मातृ व शिशु स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना, गंभीर बीमारियों का समय पर निदान करना और मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करना है।
भंडारा जिले में दर्ज बाल मृत्यु के अनुसार 24 घंटे में 2 नवजात शिशु, 1 से 7 दिन में 16 नवजात शिशु, तथा 8 से 28 दिन में 5 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई। अर्भक मृत्यु में 29 दिन से 1 वर्ष के भीतर 10 शिशुओं का समावेश है। 0 से 1 वर्ष आयु वर्ग में कुल 33 शिशुओं की मृत्यु हुई, जबकि 1 से 5 वर्ष आयु वर्ग में 5 बाल मृत्यु हुई हैं।